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उपहार सिनेमा कांड

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उपहार सिनेमा की आग (Uphaar Cinema Fire) हाल के भारतीय इतिहास की सबसे भीषण आग त्रासदियों में से एक थी. दिल्ली के ग्रीन पार्क स्थित उपहार सिनेमा में फिल्म बॉर्डर की तीन बजे स्क्रीनिंग के दौरान शुक्रवार 13 जून 1997 को आग लग गई थी (Uphaar Cinema Fire Date). लगभग 59 लोग अंदर फंस गए थे और दम घुटने से उनकी मौत हो गई थी और भगदड़ में 103 गंभीर रूप से घायल हो गए थे (Uphaar Cinema Fire Death).

पीड़ितों और मृतक के परिवारों ने बाद में उपहार अग्नि त्रासदी (AVUT) के पीड़ितों के संघ का गठन किया, जिसने ऐतिहासिक नागरिक मुआवजे का मामला दायर किया. इसने पीड़ितों के परिवारों के मुआवजे में ₹25 करोड़ जीते. इस मामले को अब भारत में नागरिक क्षतिपूर्ति कानून में एक सफलता माना जाता है. हालांकि 13 अक्टूबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट ने पीड़ितों को दिए गए मुआवजे की राशि को लगभग आधा कर दिया और सिनेमा मालिकों, अंसल भाइयों द्वारा भुगतान किए जाने वाले दंडात्मक हर्जाने को ₹ 2.5 करोड़ से घटा दिया (Compensation in Uphaar Cinema Fire). 

25 अगस्त 2015 को अपने अंतिम आदेश में, सुप्रीम कोर्ट ने अपने पहले के आदेश को संशोधित किया और अंसल भाइयों को तीन महीने के भीतर पीड़ितों के परिवारों को 30 करोड़ रुपये का भुगतान करने में विफल रहने पर दो साल की जेल की सजा सुनाई. सुप्रीम कोर्ट ने 9 फरवरी 2017 को फिर से इस आदेश की समीक्षा की और मामले के लिए गोपाल अंसल को एक साल जेल की सजा सुनाई. अन्य आरोपी सुशील अंसल को वृद्धावस्था के कारण और अधिक सजा नहीं भुगतनी पड़ी (Accused of Uphaar Cinema Case, Sushil Ansal and Gopal Ansal). पटियाला हाउस कोर्ट ने 19 जुलाई 2022 को उपहार कांड के सबूतों से छेड़छाड़ के दोषी अंसल बंधुओं की बची हुई सजा को माफ कर दी.

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