विजेंदर सिंह: ओलंपिक खेलों में भारत के पहले मुक्केबाजी पदक विजेता
कांस्य पदक: बीजिंग ओलंपिक (2008)
विजेंदर सिंह भारत को बॉक्सिंग में पहला ओलंपिक पदक दिलाने वाले भारतीय मुक्केबाज हैं. 2008 के बीजिंग ओलंपिक में विजेंदर ने मिडिलवेट केटेगरी में कांस्य पदक जीता था. विजेंदर को राजीव गांधी खेल रत्न अवार्ड, पद्म श्री से सम्मानित किया जा चुका है. 2015 में विजेंदर ने पेशेवर मुक्केबाजी में कदम रखा, जिसके चलते वह भारत का प्रतिनिधित्व नहीं कर सकते हैं. 2009 के विश्व चैम्पियनशिप में कांस्य पदक जीत चुके विजेंदर को 'किंग ऑफ रिंग' भी कहा जाता है.
वह बॉक्सिंग के अलावा बॉलीवुड में भी अपनी किस्मत आजमा चुके हैं. 2014 में उन्होंने फिल्म 'फगली' में काम किया, जिसने बॉक्स ऑफिस पर ठीक-ठाक प्रदर्शन किया था.
शुरुआती करियर
विजेंदर सिंह का जन्म 29 अक्टूबर 1985 को हरियाणा के भिवानी जिले में हुआ. उनके पिता बस ड्राइवर थे, जिन्होंने विजेंदर और उनके भाई मनोज की पढ़ाई के लिए ओवरटाइम ड्यूटी की. विजेंदर ने अपने भाई को देखकर ही मुक्केबाजी में कदम रखा था. 2003 में एफ्रो एशियन गेम्स जीतने के बाद इस मुक्केबाज ने एथेंस गेम्स 2004 के लिए क्वालिफाई कर सभी को चौंका दिया. हालांकि युवा विजेंदर का ओलंपिक का सफर पहले ही राउंड में खत्म हो गया. उन्हें तुर्की के मुस्तफा कारागोलु ने 25-20 से मात दी थी.
बीजिंग ओलंपिक
दो बार विफल रहने के बाद विजेंदर ने अंतिम क्वालिफाइंग टूर्नामेंट के जरिए बीजिंग ओलिंपिक में जगह बनाई थी. बीजिंग में अनुभवी बॉक्सर अखिल कुमार के क्वार्टर फाइनल में हार जाने के बाद विजेंदर मुक्केबाजी में पदक की एकमात्र उम्मीद बचे थे. विजेंदर ने उम्मीदों पर खरा उतरते हुए क्वार्टर फाइनल में इक्वाडोर के कार्लोस गोंगोरा को हराकर कांस्य पदक पक्का कर लिया. इसके बाद विजेंदर को सेमीफाइनल में क्यूबा के एमिलियो कोरिया के हाथों 5-8 से हार का सामना करना पड़ा. सेमीफाइनल मुकाबले में हार के बावजूद विजेंदर भारत के लिए इतिहास रच चुके थे.
बने नंबर वन बॉक्सर
अंतरराष्ट्रीय मुक्केबाजी एसोसिएशन(AIBA) ने 2009 में विजेंद्र को 75 किलो मिडिलवेट नंबर-1 रैंक दिया. 2010 के ग्वांगझू एशियन गेम्स में विजेंदर सिंह ने स्वर्ण पदक जीता. उन्होंने फाइनल मुकाबले में दो बार के विश्व चैम्पियन उज्बेकिस्तान के अब्बोस एटोव को 7-0 से हराया था. इसके बाद 2012 के लंदन ओलंपिक मे विजेंदर क्वार्टर फाइनल में हारने के बाद अपना दूसरा ओलंपिक पदक जीतने से वंचित रह गए.
पेशेवर बॉक्सिंग करियर
10 अक्टूबर 2015 को सोनी व्हाइटिंग के खिलाफ विजेंदर सिंह ने अपनी पहली पेशेवर बॉक्सिंग फाइट लड़ते हुए आसानी से जीत दर्ज की. विजेंदर सिंह प्रोफेशनल बॉक्सिंग में 13 मुकाबले लड़ चुके है, जिनमें से लगातार 12 मुकाबले में उन्होंने जीत दर्ज की. इस साल रूसी बॉक्सर आर्टीश लोपसान ने विजेंदर सिंह को हराकर उनका विजय रथ रोक दिया था.
ड्रग्स विवाद में आया था नाम
विजेंदर सिंह का विवादों से भी पुराना नाता रहा है. 2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में विवाद के चलते उन पर 4 अंकों का जुर्माना लगा, जिसके चलते उन्हें कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा था. 2012 में एक छापे के दौरान पंजाब पुलिस को 26 किलो हेरोइन मिली थी. इस दौरान जो कार बरामद हुई थी, वो विजेंदर की पत्नी के नाम पर थी. राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (NADA) की जांच में पाया गया कि विजेंदर ने ड्रग्स नहीं लिया था.
राजनीतिक पारी
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