घड़ी
घड़ी एक पोर्टेबल घड़ी है (Portable Watch) जिसका इस्तेमाल कोई व्यक्ति समय जानने के लिए करता है. कलाई घड़ी (Wrist Watch) को कलाई के चारों ओर पहनने के लिए डिजाइन किया गया है. वर्तमान में कलाई घड़ी के कई मॉडल मार्केट में उपलब्ध हैं. खास कर वैसी घड़ियां जो आपके मोबाईल या किसी और डिवाइस जुड़ी होती हैं, इसे स्मार्टवॉच कहा जाता है (Smartwatch). इन घड़ियों से आप मोबाइल पर आने वाले कॉल्स, मैसेज की जानकारी ले सकते हैं.
सामान्य तौर पर, आधुनिक घड़ियां अक्सर दिन, तिथि, महीना और वर्ष प्रदर्शित करती हैं. अधिकांश इलेक्ट्रॉनिक घड़ियों (Electronic Watch) में समय से संबंधित विशेषताएं जैसे टाइमर, क्रोनोग्रफ और अलार्म फंक्शन शामिल हैं. इसके अलावा, कुछ आधुनिक घड़ियों जैसे स्मार्टवॉच में कैलकुलेटर (Calculator), जीपीएस (GPS) और ब्लूटूथ (Bluetooth) तकनीक भी शामिल है या उनमें हृदय गति निगरानी क्षमताएं हैं (Watch with Heartbeats calculator).
घड़ियां 17 वीं शताब्दी में वसंत-संचालित घड़ियों से विकसित की गईं, जो 14 वीं शताब्दी की शुरुआत में दिखाई दीं थी. अपने अधिकांश इतिहास के दौरान घड़ी एक यांत्रिक उपकरण थी, जो एक मेनस्प्रिंग को घुमाकर संचालित होती थी और एक दोलनशील संतुलन पहिया के साथ समय दर्शाती थी. इन्हें यांत्रिक घड़ियां कहा जाता है (Mechanical Watches). 1960 के दशक में इलेक्ट्रॉनिक क्वार्ट्ज घड़ी (Quartz Watches) का आविष्कार किया गया था (Invension of Quartz Watch), जो एक बैटरी से चलती थी. साथ ही, एक कंपन क्वार्ट्ज क्रिस्टल के साथ समय बताती थी. 1980 के दशक तक क्वार्ट्ज घड़ी ने यांत्रिक घड़ी से अधिकांश बाजार पर कब्जा कर लिया था. ऐतिहासिक रूप से, इसे क्वार्ट्ज क्रांति कहा जाता है. 2010 तक स्मार्टवॉच ने मार्केट पर कब्जा कर लिया. यह कलाई पर पहने जाने के लिए डिजाइन किए गए विस्तृत कंप्यूटर जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण हैं. वे आम तौर पर टाइमकीपिंग फंक्शंस को शामिल करते हैं (History of Watch).
HMT Watch की एक बार फिर भारतीय मार्केट में एंट्री होने के संकेत मिल रही हैं और मोदी 3.0 में मिनिस्टर एच डी कुमारस्वामी इसे बनाने वाली हिंदुस्तान मशीन टूल्स लिमिटेड के अधिकारियों के साथ बीते सप्ताह एक अहम बैठक कर चुके हैं.
Journey of HMT Watch: साल 1961 से शुरू हुआ hmt का शानदार सफर 90 के दशक की शुरुआत तक बदस्तूर जारी रहा. फिर 90 के दौर में एचएमटी को घड़ी मार्केट में एंट्री लेने वाली Tata Group की टाइटन (Titan) ने टक्कर देना शुरू कर दिया. इसके बाद से ही एचएमटी की घड़ियों को पुराने जमाने की तकनीक कहकर पुकारा जाने लगा.