वीकली डायरी (Weekly Diary) एक साप्ताहिक कॉलम है, जिसमें आजतक के एक्सपर्ट हफ्ते भर की महत्वपूर्ण खबरों पर अपना नजरिया पेश करते हैं.
अजित पवार का कहना था कि महाराष्ट्र का वोटर अलग तरीके से सोचता है. महाराष्ट्र में हर इलाका अलग तरीके से सोचता है, जिसकी वजह से किसी एक पार्टी की सरकार अब तक नहीं बन पाई है. एक तरीके से उनकी तरफ से ये मैसेज देने की कोशिश की जा रही है. ये बीजेपी के साथ जाने में उनकी भूमिका को एक्सप्लेन करने की कोशिश है, जिसे महाराष्ट्र की पॉलिटिकल रियलिटी के आधार पर पेश कर रहे हैं.
नासिक की सीट को लेकर छगन भुजबल के लिए एनसीपी ने जोर लगाया था. लेकिन वहां शिंदे की शिवसेना का एमपी है, जिसकी वजह से शिंदे उस सीट को छोड़ने के लिए तैयार नहीं है. औरंगाबाद सीट पर अमित शाह ने ऐलान किया था कि अगला सांसद बीजेपी का ही होगा. लेकिन उसके बाद आज शिंदे ने वहां जाकर कहा कि शिवसेना का ही उम्मीदवार यहां से चुनावी मैदान में उतरेगा.
मध्य प्रदेश बीजेपी कार्यालय में जनवरी 2024 से लेकर मार्च 2024 तक कांग्रेस के करीब 8 हजार नेताओं और कार्यकर्ताओं ने बीजेपी की सदस्यता ली है. इनमें पूर्व केंद्रीय मंत्री, पूर्व सांसद, पूर्व विधायकों समेत बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल हैं.
बिहार में इस हफ्ते कई सियासी घटनाक्रम देखने को मिले. जहां एक तरफ एनडीए ने लोकसभा के लिए सीटों के बंटवारे का ऐलान किया तो वहीं पशुपति पारस ने एक भी सीट नहीं मिलने की वजह से मोदी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया.
महाराष्ट्र की राजनीति में नए समीकरणों की तपिश मुंबई से लेकर दिल्ली तक देखने को मिल रही है. MNS चीफ राज ठाकरे जल्द ही एनडीए जॉइन कर सकते हैं. मंगलवार सुबह उन्होंने दिल्ली में बीजेपी के राष्ट्रीय सचिव विनोद तावड़े से मुलाकात की, उसके बाद वो गृहमंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे. राज ठाकरे की पार्टी आगामी लोकसभा चुनाव में दक्षिण मुंबई और शिर्डी सीट पर दावेदारी कर सकती है.
चिराग और चाचा पशुपति पारस दोनों ही बीजेपी से 6 लोकसभा सीट की मांग कर रहे थे और दोनों ही अपनी मांग से पीछे हटने को तैयार नहीं थे. दूसरी तरफ चिराग और चाचा पारस हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर भी भिड़े हुए थे. चिराग पासवान आगामी लोकसभा चुनाव हाजीपुर से लड़ना चाहते थे, जो उनके पिता दिवंगत रामविलास पासवान की कर्मभूमि रही है और पशुपति पारस भी इस सीट को छोड़ने के मूड में नहीं थे जो कि फिलहाल इस सीट से मौजूदा सांसद हैं.
गुजरात ऐसा लगता है कि 'कांग्रेस मुक्त' हो चुका है. यहां पार्टी के कई बड़े नेता बीजेपी जॉइन कर चुके हैं. आलम ये है कि बीते विधानसभा चुनाव में पार्टी के जीतने वाले 38 उम्मीदवार ऐसे थे, जो कांग्रेस से बीजेपी में आए थे. आइए आपको बताते हैं कि आखिर कांग्रेस के दिग्गज कांग्रेस छोड़ क्यों रहे हैं?
3 मार्च को पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में महागठबंधन की रैली का आयोजन किया गया था. इस रैली में राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर बड़ा हमला बोला और उनका कोई परिवार नहीं होने को लेकर सवाल खड़े किए. लालू ने इसी मंच से प्रधानमंत्री को गैर हिंदू भी बताया था.
हिंदुस्तान उर्वरक एवं रसायन लिमिटेड सिंदरी के उद्घाटन के बाद सार्वजनिक रैली को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने JMM को 'जमकर खाओ पार्टी' की संज्ञा दी. इसके बाद स्थानीय बीजेपी यूनिट ने जेएमएम को 'झारखंड मुद्रा मोचन पार्टी' का नाम दिया.
गुजरात में कांग्रेस और आम आदमी पार्टी ने गठबंधन का ऐलान किया था, इसके बाद तय हुआ कि 26 में से 24 सीटों पर कांग्रेस लड़ेगी और दो सीटों पर AAP अपने उम्मीदवार घोषित कर चुकी है. कांग्रेस के उम्मीदवारों के चयन के लिए दिल्ली में एक बार स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग हो चुकी है और 15 मार्च तक दूसरी बैठक होगी.
जेपी नड्डा को गुजरात से राज्यसभा भेजा गया है. भाजपा में गुजरात का महत्व पहले से काफी ज्यादा बढ़ता जा रहा है. ऐसा नहीं है कि यह पहली बार है क्योंकि जब पूरे देश में भाजपा के सिर्फ 2 सांसद थे, तब उसमें से एक सांसद गुजरात के मेहसाणा के थे. वैसे ये कोई नई बात नहीं है कि भाजपा में गुजरात या गुजरात के संगठन की भूमिका न हो.
गुजरात की 2 सीट भरूच और भावनगर आम आदमी पार्टी के खाते में गई. जबकि बाकी 24 लोकसभा सीटों पर कांग्रेस चुनाव लड़ेगी. भरूच सीट को लेकर दोनों पक्षों के बीच काफी मशक्कत हुई. कांग्रेस के दिवंगत नेता अहमद पटेल के बेटे और बेटी ने भरूच सीट AAP को न देने के लिए पूरा जोर लगाया.
तेजस्वी यादव ने आरजेडी को नए रूप में परिभाषित किया है. उन्होंने कहा कि अब आरजेडी अब केवल माई (MY, मुस्लिम-यादव) की पार्टी नहीं रह गई है बल्कि BAAP की पार्टी हो गई है. तेजस्वी ने BAAP की व्याख्या करते हुए कहा कि राजद B से बहुजन, A से अगड़ा, A से आधी आबादी (महिलाएं) और P से Poor यानी की गरीब की पार्टी है.
महाराष्ट्र में कांग्रेस के अंदर कुनबा बचाने की कवायद जारी है. बीजेपी रणनीति के तहत कांग्रेस नेताओं को अपने पाले में लाने के लिए लगी है. हालांकि, बीजेपी के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वो इन नेताओं को एडजस्ट कैसे करेगी. एक तरफ राज्य सरकार में शिंदे गुट और अजित पवार गुट को संभालना है तो दूसरी तरफ कांग्रेस से आने वाले नेताओं को भी जगह और जिम्मेदारी देनी है.
बिहार में बीते दिनों सियासत के अलग-अलग रंग देखने को मिले. जहां विश्वासमत हासिल करने के लिए सरकार को काफी मशक्कत करनी पड़ी तो वहीं आरजेडी के विधायकों ने फ्लोर टेस्ट के दौरान ऐसा पाला बदला जिसकी उम्मीद तेजस्वी यादव को भी नहीं थी.
जेएमएम सहानभूति कार्ड खेलकर हेमंत सोरेन के खिलाफ हो रही कार्रवाई को भुनाने में लगी है, लेकिन बीजेपी भी जेएमएम और कांग्रेस के खिलाफ इस नैरेटिव को सेट करने में लगी है कि आदिवासियों के हित की बात करने वाली ये पार्टियां ही आदिवासियों को ही ठग रही हैं.
लोकसभा चुनाव को लेकर केंद्र के साथ ही गुजरात की भूपेंद्र पटेल सरकार भी एक्टिव मोड में दिख रही है. राम मंदिर और पीएम मोदी की गारंटी को लेकर बीजेपी सातवें आसमान पर सवार है. वहीं, INDIA गठबंधन के सहयोगी दल एक के बाद एक छूटते जा रहे हैं. गुजरात में आम आदमी पार्टी कांग्रेस से एक सीट की मांग कर रही है.
एमपी बीजेपी ने लोकसभा चुनाव की तैयारियों के तहत गांव चलो अभियान की शुरुआत कर दी है. इस अभियान की शुरुआत प्रदेश बीजेपी अध्यक्ष वीडी शर्मा ने दिग्विजय सिंह के गढ़ मानेजाने वाले राघौगढ़ से की. वीडी शर्मा राघौगढ़ के आवन गांव पहुंचे और यहां चार बूथों के त्रिदेव और बूथ समिति के सदस्यों के साथ बैठक की.
बिहार में नीतीश कुमार के एनडीए में शामिल होने के बाद सियासी घटनाक्रम तेजी से बदला है. जहां नई सरकार में मंत्रियों के बीच विभागों का बंटवारा हुआ तो दूसरी तरफ पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने मंत्रिमंडल विस्तार में एक और मंत्री पद मांग कर दी. वहीं नीतीश कुमार ने दिल्ली आकर पीएम मोदी से मुलाकात की.
हाल ही में हुए विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने विधानसभा सीटों की नजर से देखा जाए तो दूसरी सबसे बड़ी जीत दर्ज की जबकि बड़े-बड़े राजनीतिक पंडितों के अनुमान और ज्यादातर सर्वे बीजेपी के खिलाफ थे लेकिन अपने संगठन के नवाचारों और प्रबंधन ने एक प्रचंड जीत बीजेपी के खाते में डाल दी. अब संगठन की इसी ताकत को बीजेपी लोकसभा में भुना कर 400 से ज्यादा सीटें जीतना चाहती है.
यूपी में कांग्रेस पार्टी की नजर उन सीटों पर है जो 2009 में पार्टी ने जीती थीं. पूर्वांचल से लेकर पश्चिम तक और तराई से लेकर बुंदेलखंड तक कांग्रेस पार्टी ने 28 सीटों की जो लिस्ट दी है, उसमें वह 20 सीटों पर कम से कम लड़ना चाहती है.