वैज्ञानिकों ने पिछले साल नवंबर में स्वीडन में गिरे उल्कापिंड की जांच के बाद बताया है कि अंतरिक्ष से आए इस पत्थर में लोहा ही लोहा है. स्वीडन के उपासला गांव में मिले इस उल्कापिंड पत्थर में भरपूर मात्रा में लोहा है. स्वीडिश म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री ने इस बात का खुलासा किया है. साथ ही ये भी बताया कि ये स्वीडन में कैसे गिरा? यह कितने बड़े उल्कापिंड का हिस्सा रहा होगा?
स्वीडिश म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के अनुसार इस ढेलेदार उल्कापिंड का आकार पाव रोटी जैसा है. इसका वजन लगभग 31 पाउंड (14 किलोग्राम) है. ये पहले एक बड़े स्पेस रॉक का हिस्सा था. वैज्ञानिकों के अनुसार ये जिस पत्थर से टूटकर गिरा है, उसका वजन लगभग 9 टन से ज्यादा था, जिसने 7 नवम्बर को उपासला के ऊपर आसमानी रोशनी की थी. (फोटोःगेटी)
उसके बाद स्वीडिश म्यूजियम ऑफ नेचुरल हिस्ट्री के वैज्ञानिकों ने उल्कापिंड के गिरने की साइट को खोजा. वहां उल्कापिंड के छोटे-छोटे टुकड़े मिले. म्यूजियम के स्टेटमेंट के अनुसार उल्कापिंड के ये छोटे टुकड़े ओडेलन गांव के पास पाए गए. ये टुकड़े 0.1 इंच (3 मिलीमीटर) लंबे थे. (फोटोःगेटी)
स्टॉकहोम के जियोलॉजिस्ट एंड्रियास फोर्सबर्ग और एंडर्स जब साइट पर वापस आए तो उन्हें उल्कापिंड का बहुत बड़ा टुकड़ा मिला. ये ऐसा था जैसे किसी बोल्डर को तोड़ दिया गया हो. ये टुकड़ा आशिंक रूप से काई में दफन था. 230 फीट (70 मीटर) था, जहां उल्कापिंड के टुकड़े मिले थे. (फोटोःगेटी)
Lumpy, 30-pound meteorite that crashed in Sweden recovered in local village https://t.co/bWmc6qlmcc pic.twitter.com/9UtX1Fx2so
— SPACE.com (@SPACEdotcom) March 1, 2021
टक्कर होने के कारण इसकी एक साइड चपटी और दरार से भरी हुई थी. इसके चारों और छोटे से छिद्र थे. लोहे के उल्कापिंड में इस तरह की आकृति बनना बहुत सामान्य है. म्यूजियम के अनुसार इस तरह के उल्कापिंड के पत्थर तब बनते है जब स्पेस से आया हुआ पत्थर वायुमंडल से गुजरते हुए पिघल जाते हैं. (फोटोःगेटी)
स्वीडिश म्यूजियम हिस्ट्री के क्यूरेटर डेन ने एक बयान में कहा कि ये हमारे देश मे गिरे हुए नए उल्कापिंड का पहला उदाहरण है. ये पहली बार है जब स्वीडन ने 66 वर्षों में फायरबॉल से जुड़े कोई भी उल्कापिंड प्राप्त किए हो. अब हम जानते है कि ये लोहे का उल्कापिंड है तो अब इसके गिरने के सिमुलेशन को ठीक कर सकते है. (फोटोःगेटी)