टाडा अदालत 1993 श्रंखलाबद्ध विस्फोट मामले की सुनवाई के दूसरे चरण में अंडरवर्ल्ड डॉन अबू सलेम सहित सात आरोपियों को सजा सुना सकती है. साल 2007 में सुनवाई के पहले चरण में टाडा अदालत ने इस मामले में सौ आरोपियों को दोषी ठहराया था, जबकि 23 लोग बरी हुए थे.
गौरतलब है कि फरार होने के बाद दाऊद की सल्तनत को आजमगढ़ के पंचर बनाने वाले शख्स अबु सलेम ने संभाला था. अबू सलेम के पिता आजमगढ़ के सरायमीर थाना क्षेत्र के रहने वाले इज्जतदार वकील थे और परिवार काफी बड़ा था.
उनकी सड़क दुर्घटना में मौत के बाद सारी जिम्मेदारियां अबू सलेम पर आ गईं थी. परिवार को संभालने के लिए सलेम ने गांव में ही मोटर मकैनिक का काम शुरू कर दिया. इसके बाद अबू टैक्सी चलाने के लिए दिल्ली चला गया.
इसके बाद वह मुंबई पहुंचा और वहां भी उसने टैक्सी ड्राइवर, ब्रेड डिलीवरी और कपड़े की दुकान में हाथ आजमाया.इसी बीच उसने रियल एस्टेट ब्रोकर के तौर पर भी काम किया.
टैक्सी ड्राइवर का काम करने के दौरान साल 1987 में वह अंडरवर्ल्ड डाउन दाऊद इब्राहिम के भाई अनीस इब्राहिम से मिला. अनीस के जरिए वह दाउद के संपर्क में आया और देखते ही देखते उसका राइट हैंड बन गया.
इसके बाद दाऊद इब्राहिम के कहने पर सलेम ने बॉलीवुड कलाकारों सितारों और बड़े बिजनेसमैन से जबरन वसूली का काम शुरू किया. उसकी दहशत से फिल्म कलाकार उसकी पार्टियों में दिखने लगे और वसूली की रकम पहुंचने लगी.
अबू सलेम का पहला शिकार मुंबई के बिल्डर प्रदीप जैन बने थे. 1995 में प्रदीप की हत्या कर दी गई थी. यही नहीं उनकी तेरहवीं के दिन जैन की पत्नी को फोन कर कहा क्या तुम्हें विधवा होने का सुख मिल रहा है.
फिल्मों में पैसा लगाना और पसंदीदा कलाकारों को काम दिलवाना अबू का शौक बन चुका था. अबु सलेम ने संगीतकार गुलशन कुमार से जब हर महीने 5 लाख रुपये मांगे. गुलशन कुमार ने इनकार करते हुए कहा कि इतने रुपये देकर वो वैष्णो देवी में भंडारा कराएंगे.
गुस्साए सलेम ने जल्द ही बेहद ही खौफनाक तरीके से शूटर राजा के जरिए गुलशन का दिन दहाड़े मर्डर करवा दिया. बताया जाता है कि शूटर राजा ने गुलशन कुमार की हत्या के दौरान करीब 10 से 15 मिनट कर अपना फोन ऑन रखा था ताकि गुलशन कुमार की चीखें अबु सलेम सुन सके.
मुंबई बम धमाके में अबू सलेम ने दाऊद इब्राहिम के साथ अपने सहयोगियों को हथियार और गोला-बारूद दिया था. सलेम ने एक्टर संजय दत्त को एके 56 राइफलें, 250 कारतूस और कुछ हथगोले 1993 को उनके घर पर सौंपे थे. अबु सलेम को साल 2013 में पुर्तगाल से प्रत्यर्पित किया गया था.