कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से मछलियों के शिकार पर प्रतिबंध के बाद भी फैरो आइलैंड पर विवादास्पद आयोजन ने 300 व्हेल मछलियों की जान ले ली. इससे वहां समुद्र का पानी तक खून से लाल हो गया. फैरो द्वीप समूह नॉर्वे और आइसलैंड के बीच उत्तरी अटलांटिक में है और यहां 18 छोटे-छोटे द्वीप हैं. (तस्वीर - फेसबुक)
इस क्षेत्र में पारंपरिक तौर पर बड़ी मछलियों के शिकार का आयोजन किया जाता है जिसे ग्राइंड्रैप या 'द ग्राइंड' के रूप में जाना जाता है, इस आयोजन में व्हेल को नावों के साथ घेरने और उसे फंसाने, पकड़ने और चाकुओं से मारने की परंपरा है. (तस्वीर - फेसबुक)
स्थानीय लोग सदियों से ऐसा शिकार कर रहे हैं लेकिन कोरोना वायरस संक्रमण के इस दौर में व्हेल मछलियों की इस भीषण हत्याओं ने लोगों को फिर से झकझोर दिया है.यूरो न्यूज के अनुसार कोरोना वायरस प्रतिबंध के बावजूद फिर से शुरू होने वाले व्हेलिंग के मौसम के बाद इस हफ्ते फैरो द्वीप में लगभग 300 व्हेल मारी गईं
जानवरों के हितों के लिए काम करने वाले कार्यकर्ता लंबे समय से इस आयोजन का विरोध करते आ रहे हैं. स्थानीय अधिकारियों के लिए कोरोना वायरस के कारण मछुआरों की एक दूसरे से निकटता को रोकना बेहद चुनौतीपूर्ण था.
फिरोजी सरकार देश में व्हेलिंग प्रथा का बचाव करती है. सरकार का दावा है कि यह पूरी तरह "विनियमित" है. अधिकारियों के अनुसार, "स्थानीय लोग सालाना औसतन 800 पायलट व्हेल का शिकार करते हैं," अधिकारियों के अनुसार, जिन व्हेल मछलियों का वो शिकार करते हैं वो लुप्त होने वाली प्रजाति नहीं है. उन्होंने कहा कि व्हेल का शिकार त्योहार नहीं स्थानीय समुदाय के भोजन का जरिया है.