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शांति का संदेश देता था बौद्ध भिक्षु, आज शरीर पर बम बांध कर चलता है

monk turned freedom fighter
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इस साल फरवरी में म्यांमार में तख्तापलट होने के बाद से ही वहां काफी तनाव की स्थिति बनी हुई है. लोकतंत्र के समर्थन में प्रदर्शन करने वाले सैकड़ों लोगों को म्यांमार सेना मौत के घाट उतार चुकी है और इसके साथ ही वहां रहने वाले आम इंसान से लेकर प्रभावशाली लोगों ने भी हथियार उठा लिए हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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कुछ ऐसी ही कहानी बौद्ध भिक्षु कायथेरा की है जो अब जॉर्ज माइकल बन चुके हैं और म्यांमार की सेना के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले लड़ाके बन चुके हैं. माइकल अब अपने शरीर पर बम बांध कर चलते हैं, इसलिए नहीं कि वे आत्मघाती हमला करें बल्कि इसलिए कि पकड़े जाने पर वे अपने आप को उड़ा सकें. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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माइकल का जन्म म्यांमार के यानगोन में हुआ था. उनके चार भाई-बहन हैं. 10 साल की उम्र में माइकल के पिता की मौत हो गई थी हालांकि उनका बिजनेस अच्छा चल रहा था इसलिए माइकल को आर्थिक तौर पर ज्यादा दिक्कतें नहीं आईं. जब वे 20 साल के थे तो उनकी मां ने उन्हें बौद्ध भिक्षु बनने के लिए कहा था. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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दरअसल माइकल की मां उस समय कैंसर से जूझ रही थीं और वे अपने बेटे को बौद्ध धर्म के अनुयायी के रूप में देखना चाहती थी. माइकल अपने मठ से लोगों को खाना डोनेट करने लगे और कई लोगों को इमरजेंसी सुविधाएं उपलब्ध कराने लगे लेकिन 1 फरवरी के बाद कई लोगों की तरह उनकी जिंदगी भी बदल गई. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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उन्होंने वाइस वर्ल्ड के साथ बातचीत में कहा कि हम कभी सरेंडर नहीं करेंगे. चाहे वो हमें पकड़ क्यों ना लें, उन्हें बस हमारी डेड बॉडी मिलेगी लेकिन हम उनके हाथ कभी जिंदा नहीं आएंगे. हम अपनी आखिरी सांस तक इंसाफ के लिए लड़ते रहेंगे. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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इससे पहले उन्होंने रेडियो फ्री एशिया म्यांमार सर्विस के साथ बातचीत में बताया था कि जब हम बौद्ध साधु थे तब हम लोगों को हत्या और हिंसा से दूर रहने के लिए कहते थे लेकिन अब एक फ्रीडम फाइटर के तौर पर मुझे खुद हिंसा और हत्याओं में शामिल होना पड़ रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)

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माइकल अब अपना ज्यादातर समय पूर्वी म्यांमार के जंगलों में बिताते हैं. उनके पास एक छोटी सी टीम है जो म्यांमार के सैनिकों के साथ संघर्ष में उनका साथ देती है. माइकल ने कहा कि उन्हें अपनी नई तरह की जिंदगी के लिए मानसिक तौर पर काफी तैयार होना पड़ा है लेकिन उन्हें अपने देश के लिए ऐसा करना पड़ रहा है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/getty images)
 

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