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भगवान बुद्ध को खुश करने के लिए चढ़ाई अपनी ही बलि, बौद्ध भिक्षु ने सिर किया धड़ से अलग

buddhist monk
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थाइलैंड में एक बौद्ध भिक्षु ने भगवान बुद्ध की शरण में अपने आपको न्योछावर कर दिया. उन्होंने अपने खुद के सिर को एक यंत्र से इस उम्मीद में काट दिया ताकि उनका अगला जन्म बेहतर हो और वे अपने नए जीवन में आध्यात्म के नए स्तर को छू सकें और निर्वाण को प्राप्त कर सकें. (प्रतीकात्मक तस्वीर/ Getty Images)

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68 साल के थम्माकोर्न वांगप्रीचा के बारे में कहा जा रहा है कि वे पिछले पांच सालों से इस प्रक्रिया की तैयारी कर रहे थे. वांगप्रीचा का मानना था कि अपने देवता के लिए अपने आपको त्यागने से उनकी मेरिट अच्छी होगी और उन्हें अगला जीवन और भी बेहतर साबित होगा. (प्रतीकात्मक तस्वीर/ Getty Images)

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बता दें कि बौद्ध धर्म में मेरिट का कॉन्सेप्ट बेहद प्रचलित है. मेरिट एक ऐसी ऊर्जा को कहा जा सकता है जो अच्छे कर्म करने से आती है. इसके चलते किसी इंसान की परिस्थितियां भी सकारात्मक होती चली जाती हैं और बौद्ध धर्म के अनुसार, इससे आने वाला जन्म भी प्रभावित होता है. मेरिट को मोक्ष की राह से भी जोड़ कर देखा जाता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/ Getty Images)

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वांगप्रीचा उत्तर-पूर्वी थाइलैंड में एक मंदिर में पिछले 11 सालों से सेवा कर रहे थे. ये मंदिर नॉन्ग लंफू प्रांत में मौजूद था. वांगप्रीचा के पार्थिव शरीर को सबसे पहले उनके एक रिश्तेदार ने देखा था. बौद्ध भिक्षु के रिश्तेदार ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि वे अपने शरीर और आत्मा को भगवान बुद्ध को देना चाहते थे ताकि भगवान उन्हें अगले जन्म में एक आध्यात्मिक शख्स के तौर पर दुनिया में वापस भेज सकें. (प्रतीकात्मक तस्वीर/ Getty Images)

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वांगप्रीचा ने अन्य पुजारियों को इस बारे में बता दिया था कि वे जल्द ही मंदिर से अपनी सेवाएं खत्म करने जा रहे हैं लेकिन उन्होंने ये नहीं बताया था कि वे इतना मुश्किल और खतरनाक कदम उठाने जा रहे हैं. पुलिस ने मंदिर से बौद्ध भिक्षु का शव ले लिया है ताकि उनका पोस्टमार्टम किया जा सके और मरने की वजह का पता लगाया जा सके. (प्रतीकात्मक तस्वीर/ Getty Images)

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गौरतलब है कि बौद्ध भिक्षु की मौत के बारे में जब लोगों को पता चला तो आसपास के क्षेत्रों के 300 श्रद्धालु मंदिर उन्हें श्रद्धांजलि देने पहुंचे थे. हालांकि कई लोग वांगप्रीता के कदम की तारीफ कर रहे हैं लेकिन नेशनल ऑफिस ऑफ बुद्धिस्म ने स्थानीय प्रशासन को कहा है कि वे लोगों को समझाएं कि इस तरह की धार्मिक क्रियाएं जिनमें जान जाने का खतरा है, उन्हें बौद्ध धर्म में किसी भी तरीके से उत्साहित नहीं किया जाता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर/ Getty Images)

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वांगप्रीचा के शरीर को एक ताबूत में रखा गया था वही उनका सिर एक जार में मौजूद था. इसके बाद वांगप्रीचा के घरवालों और उनके अनुयायियों ने जंगल में उनके पार्थिक शरीर को ले जाकर उनका अंतिम संस्कार किया. इनमें से एक अनुयायी का कहना था कि वांगप्रीचा पिछले कई सालों से ये करना चाहते थे. आखिरकार उन्हें अपना मोक्ष का मार्ग मिल ही गया. (प्रतीकात्मक तस्वीर/Getty images)
 

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