कोरोना महामारी के चलते देश का स्वास्थ्य सिस्टम चरमरा चुका है. कई लोगों को ना केवल इस खतरनाक वायरस से बल्कि अस्पतालों की लापरवाही का सामना भी करना पड़ रहा है. बिहार के कुछ अस्पतालों की भी ऐसी ही सच्चाई सामने आई है. सॉफ्टवेयर इंजीनियर व्यक्ति की पत्नी ने अपनी दर्दनाक आपबीती सुनाई.
भागलपुर में रहने वाली रुचि शर्मा की कहानी डराने वाली है. वे पिछले 26 दिनों से भागलपुर से पटना के कई अस्पतालों में अपने पति के इलाज के लिए दर-दर ठोकरें खाती रहीं. उन्होंने ना केवल अपने पति के लिए ऑक्सीजन को ब्लैक में खरीदा बल्कि अस्पताल के एक कर्मचारी ने उनका शारीरिक शोषण करने की भी कोशिश की.
आजतक के साथ खास बातचीत में रुचि शर्मा काफी इमोशनल होकर बोलीं कि 9 अप्रैल को मेरे पति रोशन को सर्दी बुखार हुआ. इलाज के लिये उन्हें भागलपुर के निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया. वहां उन्हें ऑक्सीजन दी गई थी लेकिन इसके बावजूद उनके हालात खराब हो रहे थे. इसके बाद मुझे पता चला कि उन्हें सिर्फ मास्क लगाया गया था और उन्हें ऑक्सीजन की सप्लाई दी ही नहीं गई थी.
उन्होंने आगे कहा कि इस अस्पताल में साफ-सफाई का कुछ ध्यान नहीं रखा जाता था. मेरे पति को शौच के बाद गंदगी में घंटों पड़े रहना पड़ता था. एक बार मैं वहां सफाई करने गई और अस्पताल के स्टाफ से मदद की मांग की तो उसने मेरा दुपट्टा खींचा और मेरे कमर पर हाथ रखकर छेड़खानी की. मेरे पति ये सब बेबस होकर देखते रहे और कमजोर होने की वजह से कुछ कर नहीं पाए.
उन्होंने आगे कहा कि मेरे पति को ऑक्सीजन की कमी से काफी परेशानी हो रही थी. लेकिन जब हम बार-बार डॉक्टर्स से गुहार लगा रहे थे तो वे कहते थे कि हम आराम नहीं करेंगे क्या? हमें आराम करने का हक नहीं है क्या? इसके अलावा अस्पताल का स्टाफ नाइट ड्यूटी में दरवाजा-लाइट बंदकर मोबाइल पर गाने सुनते थे या फिल्में देखते थे.
रुचि ने आगे कहा कि उनके हालात बिगड़ते जा रहे थे, इसलिए मैंने उनके पास रूकने का फैसला किया. वहां मौजूद कंपाउंडर ने मुझे धक्के मारकर बाहर भगाने की धमकी दी. मैंने उनके पैर पकड़ लिए और मैंने कहा कि मैं बस अपने पति का शौच साफ कर चली जाऊंगी. उसने कहा कि नहीं वो गंदगी में पड़े रहेंगे, तुम साफ नहीं करोगी और सफाई कर्मचारी आकर साफ करेंगे.
उन्होंने आगे बताया कि कंपाउंडर मुझे कहता रहा कि तुम्हारा पति बौखला रहा है, ये नहीं बचेगा. मैं उनसे कहती रही कि इस तरह की बातें मत कीजिए. ये सब सुनकर मेरे पति भी बहुत डर गए थे. उन्होंने मुझे कहा कि ये ऑक्सीजन का डर मुझे खा जाएगा और वे हिम्मत हारने लगे थे. उन्होंने मुझसे कहा था कि मुझे अपनी बेटी का ध्यान रखना होगा. मैं समझ गई थी कि ऑक्सीजन की कमी और अस्पतालों की बेपरवाही के चलते मेरे पति जीने की उम्मीदें खो रहे थे.
इसके बाद मेरे जेठ और दीदी ने बोला कि उन्हें लेकर पटना चलते हैं. वहां हम राजेश्वर अस्पताल लेकर गए लेकिन वहां पर भी उनका कोई ख्याल नहीं रखा गया. मैंने वहां नर्सों को ये कहते सुना कि अरे अब तक ये बेड खाली नहीं हुआ? जाहिर है वो लोग मेरे पति के मरने का इंतजार कर रहे थे और उन्हें बचाने की कोशिश नहीं कर रहे थे.
इस महिला ने आगे कहा कि मेरे पति को सिस्टम ने मार डाला. तीनों अस्पताल में काफी लापरवाही देखने को मिली. उन्हें बचाया जा सकता था लेकिन किसी को भी उनकी परवाह नहीं थी. हम यहां से वहां सिर्फ भटकते रहे लेकिन मैं अपने पति को नहीं बचा सकी.