अफगानिस्तान अब तालिबानिस्तान बन गया. सड़क से प्रेडेंशियल पैलेस तक तालिबान का कब्जा है. हर तरफ कोहराम है. अफरातफरी है. डर है. राष्ट्रपति देश छोड़ कर भागे, तो भागने वालों की होड़ लग गई. एयरपोर्ट पर बेकाबू भीड़ हैं. उड़ान बंद है और लोग रनवे से विमान तक लटक रहे हैं.
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अफगानिस्तान के तालिबानिस्तान बनते ही हर तरफ डर, अफरा-तफरी छा गया. जहां से राष्ट्रपति अशरफ़ ग़नी अहमदज़ई की हुकूमत चलती थी, वहां अब तालिबान की घुसपैठ है. तालिबान यहां अपनी धमक दिखा रहे हैं. तालिबान यहां से दुनिया को बता रहे हैं कि अब अफगानिस्तान तालिबान का हो गया.
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झंडा बदल दिया गया. अफगानिस्तान के झंडे को हटाकर तालिबान का झंडा लगा दिया गया. प्रेडेंसियल पैलेस से एक दिन पहले तक गनी फरमान जारी कर रहे हैं. अब हथियारों से लैस तालिबान हुक्म बजा रहा रहे. अफगानिस्तान की तकदीर लिख रहे हैं. 20 साल पहले जिन्हें अमेरिका ने काबुल से खदेड़ा था, अब फिर से काबुल पर काबिज हैं.
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हर महल, हर मंत्री के आशियानों पर तालिबान के हथियार बोल रहे हैं. अफगानिस्तान के पूर्व उपराष्ट्रपति अब्दुल राशिद दोस्तम के आलिशान महल भी तालिबान का आशियाना हो गया, जिसे सोफे पर कभी रोस्तम विराजते थे, वहां अब तालिबानी लड़ाकू मौज कर रहे हैं.
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काबुल की सड़कों की तस्वीर भी बदल गई, जहां पहले वर्दी वाले सैनिक कानून-व्यवस्था देखते थे, अब उनकी जगह तालिबान के आतंकियों ने ले ली है. वो हर गाड़ियां की चेकिंग कर रहे हैं और हर किसी पर नजर गंड़ाए हैं.
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सिर्फ तीन दिन में तालिबान का कंधार से काबुल तक कब्जा हो गया. 15 अगस्त को तालिबान ने काबुल के साथ-साथ जलालाबाद को भी अपने कंट्रोल में लिया. 14 अगस्त को मजार-ए-शरीफ कब्जे में आया तो 13 अगस्त को कंधार में तालिबानी झंडा लहराया.
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कोई विरोध नहीं, कोई नहीं लड़ा. अफगानी सैनिक बस घुटने टेकते चले गए. बिना गोली चलाए हथियार डालते चले गए. कुछ ने बड़े ही कायराना अंदाज में सरेंडर किया.
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सत्ता तक पहुंचने के बाद तालिबान के बोल भी बदले हैं, अब वो लोगों से बेखौफ रहने की बात कर रहे हैं. अब वो कानून-व्यवस्था की दुहाई दे रहे हैं. अब वो महिलाओं की शिक्षा की वकालत कर रहे हैं. अब वो शांति-शांति जप रहे हैं.
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तालिबान के कब्जे वाले अफगानिस्तान में अमन बहाली के लिए एक कमेटी भी बनाई गई है, जिसके प्रमुख पूर्व राष्ट्रपति हामिद करजई हैंय इस समन्वय कमेटी में मौजूदा सीईओ अब्दुल्ला अब्दुल्ला भी हैं.
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