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गंगा में मिला खतरनाक बैक्टीरिया, एंटीबायोटिक दवाएं भी हो जाएंगी फेल!

गंगा में मिला खतरनाक बैक्टीरिया, एंटीबायोटिक दवाएं भी हो जाएंगी फेल!
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गंगा पतित पावन नहीं रह गई है. गंगा के उद्गम स्थल के नजदीक गंगोत्री में ऐसे खतरनाक बैक्टीरिया मिले हैं जो किसी भी सामान्य एंटीबायोटिक से ज्यादा ताकतवर हैं. यानी इनपर सामान्य एंटीबायोटिक का कोई असर नहीं होता. यह खुलासा हुआ है इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) दिल्ली की एक रिपोर्ट में.
गंगा में मिला खतरनाक बैक्टीरिया, एंटीबायोटिक दवाएं भी हो जाएंगी फेल!
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ऐसे बैक्टीरिया मिले जो अस्पताल में मिलते हैं

IIT की रिपोर्ट के अनुसार गंगोत्री से जो गंगा का नमूना लिया गया है उसमें ऐसे बैक्टीरिया मिले हैं जो सामान्य तौर पर अस्पताल में भर्ती मरीजों में मिलते हैं. (फोटोः गेटी)
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बैक्टीरिया वहां ज्यादा, जहां नदी की चौड़ाई कम

IIT दिल्ली के प्रोफेसर शेख जियाउद्दीन अहमद के मुताबिक बैक्टीरिया की संख्या ऐसी जगहों पर ज्यादा है जहां नदी की चौड़ाई कम है. (फोटोः गेटी)
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उद्गम से 150 KM बाद ही मिलते हैं बैक्टीरिया

प्रोफेसर शेख जियाउद्दीन अहमद के मुताबिक गंगा के उद्गम स्थल से सिर्फ 150 किलोमीटर बाद ही एंटीबायोटिक रोधी बैक्टीरिया मिलने लगते हैं. इनपर एंटीबायोटिक दवाओं का असर नहीं होता. (फोटोः गेटी)
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गर्मियों में बढ़ जाता है गंगोत्री में प्रदूषण का स्तर

IIT की रिपोर्ट के अनुसार गर्मियों में गंगोत्री में लोगों की संख्या बढ़ जाती है. सर्दियों में यहां पर करीब 1 लाख लोग आते हैं, वहीं गर्मियों में यह पांच गुना ज्यादा हो जाती है. इसलिए तीर्थयात्रा के दौरान यहां प्रदूषण का स्तर भी बढ़ जाता है. (फोटोः गेटी)
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सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट सिर्फ 78 हजार लोगों के लिए सक्षम

नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत गंगोत्री में लगाए गए सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट की क्षमता सिर्फ 78 हजार लोगों को लिए है. लेकिन पर्यटकों की ज्यादा संख्या होने पर इसकी क्षमता पर असर पड़ता है. (फोटोः गेटी)
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पर्यटकों का मल गंदा करता है गंगा को

गर्मियों में आने वाले तीर्थयात्रियों और पर्यटकों का मल बहकर गंगा में जाता है. साथ ही नदी में नहाते समय इंसानी शरीर से भी बैक्टीरिया निकलकर गंगा के पानी में मिल जाता है. फिर यह दूसरे इंसान के शरीर में पहुंचता है. (फोटोः गेटी)
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