झारखंड में हजारीबाग से कुछ दूर बहोरनपुर गांव में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की टीम बौद्ध स्थल की खुदाई कर रही है. यहां खुदाई में भगवान बुद्ध की कई सारी मूर्तियां मिली हैं, मां तारा की अलंकृत मूर्ति निकली है और ईंट से बनी संरचना श्राइन स्थल जमीन में दबी हुई मिली है. जिनका निर्माण 9वीं से 12 वीं शताब्दी के मध्य माना जा रहा है. (हजारीबाग से सुमन सिंंह की रिपोर्ट)
महायान तिब्बती बौद्ध धर्म के संदर्भ में तारा या आर्य तारा एक स्त्री बोधिसत्व है. वज्रयान बौद्ध धर्म में वे स्त्री बुद्ध के रूप में हैं. वे मुक्ति की जननी के रूप में मानी जाती हैं.
यहां मिले पुरावशेष बौद्ध धर्म के परिपक्व होने के बाद के हैं. अभी दो माउंड की खुदाई चल रही है, तीसरे में काम अभी तक शुरू नहीं हुआ है.
बहोरनपुर का ज़िक्र तिब्बती बौद्ध ग्रंथ में है, संभवतः ये पहले बौद्धों का तंत्र साधना स्थल था. बौद्ध भिक्षु तिस्सवरो उन्हीं ग्रन्थों को पढ़कर यहां पहुंचे थे. उनके पास इसका नक्शा भी था. भद्रकाली मंदिर में भी मां तारा की मूर्ति है.
पद्मश्री बूलु इमाम बताते है कि यह क्षेत्र भगवान बुद्ध के गुजरने का मार्ग रहा होगा. इसलिये राष्ट्रीय राजमार्ग 100 के दोनों तरफ आपको कई अवशेष मिलेंगे जो बुद्धा सर्किट से इस क्षेत्र को जोड़ते हैं. इस क्षेत्र की इमाम ने ही खोज की है. इस पर किताब लिखी और केंद्र सरकार को सैकड़ों पत्र लिखे तब जाकर खुदाई शुरू हुई.