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धरती पर मौजूद 'सूरज' ने बनाया नया वर्ल्ड रिकॉर्ड, होगा ये फायदा

Artificial Sun sets new world record
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धरती पर मौजूद सूरज ने नया विश्व रिकॉर्ड बनाया है. आप ये पढ़कर हैरान रह गए होंगे कि धरती पर सूरज कहां है? है भी तो इसने कैसे रिकॉर्ड बनाया? धरती पर सूरज है...ये सच है. इसे इंसानों ने बनाया है. इसने अत्यधिक तापमान में काम करने का नया रिकॉर्ड बनाया है. आइए जानते हैं धरती के इस सूरज ने क्या किया, जिसकी वजह से इसकी खबरें आ रहीं हैं. (फोटोः KSTAR)

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धरती पर मौजूद ये सूरज कोरिया के द कोरिया सुपरकंडक्टिंग टोकामैक एडवांस्ड रिसर्च (The Korea Superconducting Tokamak Advanced Research - KSTAR) में है. इसने हाल ही में 20 सेकेंड तक 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस का तापमान बनाए रखा. इसी लिए इसने नया वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया है. ये KSTAR रिसर्च सेंटर का एक प्लाज्मा कैंपेन है. (फोटोः KSTAR)

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कोरिया इंस्टीट्यूट ऑफ फ्यूजन एनर्जी (Korea Institute of Fusion Energy - KFE) में मौजूद KSTAR रिसर्च सेंटर ने सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी (SNU) और अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर धरती पर मौजूद इस सूरज के तापमान को 20 सेकेंड के लिए 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस तक बनाए रखा. इसे प्लाज्मा ऑपरेशन कहा जा रहा है. (फोटोः KSTAR)

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साल 2019 की तुलना में इस बार धरती पर मौजूद सूरज ने 8 सेकेंड ज्यादा प्लाज्मा ऑपरेशन किया. साथ यह भी पहली बार हुआ है कि इस आर्टिफिशयल सूरज का प्लाज्मा आयन तापमान 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस पहुंचा हो. ऐसा करने के लिए वैज्ञानिकों ने KSTAR के फ्यूजन डिवाइस के अंदर हाइड्रोजन आइसोटोप्स रखे थे. (फोटोःगेटी)

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फ्यूजन रिएक्शन शुरू किया तो आइसोटोप्स से आयन और इलेक्ट्रॉन्स अलग हो गए. आयन गर्म होने लगे. उसके बाद उन्हें 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस तक पहुंचाया गया. हालांकि वैज्ञानिक प्लाज्मा के इस तापमान को ज्यादा देर तक फ्यूजन डिवाइस में नियंत्रित नहीं कर सकते थे, इसलिए उन्हें ये प्रक्रिया रोकनी पड़ी. (फोटोःगेटी)

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KSTAR रिसर्च सेंटर के निदेशक सी-वू यून ने कहा कि 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस पर लगातार काम करने के लिए हमें कई नई टेक्नोलॉजी और मैटिरियल की जरूरत पड़ेगी. KSTAR की सफलता भविष्य में हाई परफॉर्मेंस प्लाज्मा ऑपरेशंस के लिए बेहद जरूरी है. इसकी वजह से हमें भविष्य में परमाणु ऊर्जा से संबंधित कई फायदे मिल सकते हैं. (फोटोःगेटी)

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सियोल नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर योंग सू ना ने कहा कि उच्च तापमान में काम करने के दौरान जो दिक्कतें आती हैं, उनके अध्ययन के लिए इस प्रयोग की सफलता एक समाधान लेकर आएगी. न्यूक्लियर फ्यूजन एनर्जी से संबंधित नई तकनीकों के विकास में मदद मिलेगी. (फोटोःगेटी)

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KSTAR रिसर्च सेंटर ने पिछले साल अगस्त में प्लाज्मा जेनरेशन का काम शुरू किया था. इनकी प्लानिंग है कि अगले साल 10 दिसंबर तक कुल 110 प्लाज्मा एक्सपेरीमेंटस पूरे किए जाएं. रिसर्च सेंटर की प्लानिंग है कि साल 2025 तक 10 करोड़ डिग्री सेल्सियस आयन तापमान को 300 सेकेंड तक पहुंचाया जाए. अगर ये प्रयोग सफल होता है तो लोगों की ऊर्जा संबंधी समस्याओं का समाधान मिलेगा. (फोटोःगेटी)

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