असम के तिनसुकिया के पास ऑयल इंडिया लिमिटेड (Oil India Limited) के तेल कुएं से हुई लीकेज की वजह से जीव-जंतुओं, जलस्रोतों और पर्यावरण पर भयावह असर पड़ रहा है. लगातार रिस रहे तेल की वजह से कई जलस्रोतों का पानी खराब हो गया है. कुछ डॉल्फिंस मारी गई. उनकी खाल उधड़ गई. सैकड़ों मछलियों की मौत हो गई. पशु-पक्षी मारे गए हैं.
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तिनसुकिया से 43 किलोमीटर दूर बाघजान स्थित तेल कुएं से 27 मई को गैस और तेल लीक होने लगी. यह तेल का कुआं डिब्रु साइखोवा नेशनल पार्क के मागुरी-मोटापंग वेटलैंड्स के पास है. मुश्किल से एक किलोमीटर की दूरी पर.
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ऑयल इंडिया लिमिटेड ने कहा है कि वॉल्व में खराबी आने की वजह से ये हादसा हुआ है. 60 फीसदी मरम्मत हो चुकी है. हमने सिंगापुर के कंपनी अलर्ट डिजास्टर कंट्रोल को बुलाया है ताकि वे हादसे के बाद हुए नुकसान का आकलन कर सकें.
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हादसे के तुरंग बाद ही बाघजान से 1610 परिवारों को वहां से हटाकर सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया गया था. इन परिवारों के लोगों को चार अलग-अलग रिलीफ कैंप्स में रखा गया है.
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इस गैस-तेल लीक की वजह से आसपास के इलाके के पर्यावरण पर काफी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है. सैकड़ों मछलियां, गंगा डॉलफिंस, पक्षी मारे गए हैं. बाघजान के पास मौजूद एक झील में कई डॉलफिंस मरी हुई मिली हैं. उनकी ऊपरी खाल उधड़ चुकी थी.
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स्थानीय लोग ऑयल इंडिया लिमिटेड से मुआवजे की मांग कर रहे हैं. असम वन विभाग के प्रवक्ता सैलेन पांडेय ने बताया कि वैज्ञानिकों और पर्यावरणविदों की एक एक्सपर्ट टीम इस हादसे के बाद के पर्यावरणीय नुकसान की जांच कर रही है.
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इस एक्सपर्ट टीम को डिब्रु-साइखोवा नेशनल पार्क के अंदर मौजूद वेटलैंड्स और बाघजान के आसपास के इलाकों के पूरा अध्ययन करना है. उन्हें ये बताना है कि इस गैस-तेल लीक की वजह से कितना पर्यावरणीय नुकसान हुआ है. कितने पशु-पक्षी मारे गए हैं. ये टीम अपनी रिपोर्ट 10 जून तक सरकार के सामने पेश करेगी.
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असम वन विभाग के प्रवक्ता सैनेल पांडेय ने कहा कि यह टीम इस हादसे के बाद रिकवरी प्रोसेस के शॉर्ट टर्म और लॉन्ग टर्म स्टेप्स के बारे में बताएगी. यह भी बताएगी कि कैसे तेल और गैस के असर को कम किया जाए. कैसे पशु-पक्षियों और पेड़ पौधों की रक्षा की जाए.
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असम वन विभाग, ऑयल इंडिया लिमिटेड और स्थानीय प्रशासन अब इस व्यवस्था में लगा है कि जो गैस-तेल लीक हुआ है उससे कहीं आग न लगे. क्योंकि तेल के कुएं से लगातार पानी का तेज बहाव है, जिसके जरिए तेल की पतली परत भी पूरे इलाके में फैल रही है.
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केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने इस हादसे और उससे हो रहे दुष्प्रभावों के बारे में असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल से बात भी की. साथ ही उन्हें भरोसा दिलाया कि केंद्र सरकार से जो मदद चाहिए राज्य को मिलेगी. सोनोवाल ने पीड़ितों के लिए मुआवजे की मांग की है. (फोटोः इमोन अबेदिन)
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ऑयल इंडिया लिमिटेड के इस तेल कुएं से अब भी गैस और तेल का लीकेज हो रहा है. जबकि, कर्मचारी इसे रोकने के लिए जी-जान से लगे हुए हैं. (फोटोः एएफपी)