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लद्दाख से कन्याकुमारी, 4200 KM पैदल, क्यों ऐसा कर रहा ये शख्स?

Awadhesh Sharma walk of 4200 km
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गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में नाम दर्ज कराने के लिए लद्दाख से कन्याकुमारी तक 4200 किलोमीटर की पैदल यात्रा पर निकले मथुरा के रहने वाले अवधेश शर्मा रविवार को झांसी पहुंचे. अवधेश शर्मा ऑक्सीजन की कमी के बाद भी अटल टनल पार करने के बाद लगातार पैदल यात्रा कर रहे हैं. 

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अवधेश शर्मा ने रविवार को ऐतिहासिक झांसी किले के बाहर कुछ समय तक टेंट लगाकर विश्राम किया और फिर अगले पड़ाव के लिए रवाना हो गए. मथुरा के कोसीकला के रहने वाले अवधेश यात्रा के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, रक्तदान और जल संरक्षण का संदेश दे रहे हैं.

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अवधेश शर्मा ने इस पदयात्रा को एलटूके हाईक लद्दाख से कन्याकुमारी नाम दिया है. अवधेश ने अपनी पैदल यात्रा गांव थांग से शुरू की है, जो भारत के उत्तरी सिरे पर लद्दाख में स्थित भारत का आखिरी गांव है. अवेश के अनुसार कन्याकुमारी के केप कोमरेन तक पैदल चलकर पहुंचेगे. 

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अवधेश दावा करते हैं कि उन्होंने इस यात्रा को गिनीज बुक में रिकॉर्ड के लिए भी आवेदन किया है. उनका दावा है कि नॉर्दर्न मोस्ट इंडिया से सदर्न मोस्ट इंडिया तक किसी ने पदयात्रा नहीं की है.

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अवधेश ने आजतक से खास बातचीत करते हुए बताया कि पदयात्रा के साथ वे दो उपलब्धियां भी हासिल कर चुके हैं. लद्दाख से मनाली के बीच पड़ने वाले पांच पास को पैदल पार करने वाले वे पहले व्यक्ति हैं. इनमें से चार लद्दाख के और एक हिमाचल का है. 
 

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उन्होंने बताया कि लद्दाख का खारदुंगला पास व दुनिया का दूसरा सबसे ऊंचा तंगलंग ला पास, लचुंगला पास, नकीला पास और हिमाचल प्रदेश का बारालाचा पास पार किया है. वहीं अटल टनल को पैदल पार करने वाले पहले इंसान हैं.

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अवधेश ने बताया कि अटल टनल को पार करने की शुरुआत की तो ऑक्सीजन नहीं होने की बात कहकर अनुमति नहीं मिली. इसके बाद डिप्टी कमिश्नर से अनुमति ली. इसके बाद अटल टनल का दूसरा सिरा कुल्लू में निकलता है, तो वहां की डिप्टी कमिश्नर से अनुमति ली. फिर पता चला कि अटल बीआरओ के अधीन है. इसके बाद बीआरओ से अनुमति लेकर टनल पार किया.

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अवधेश ने बताया कि 21 अप्रैल को उन्होंने यात्रा शुरू की थी और पैदल चलते हुए 47 दिन हो चुके हैं. बीच में आरटीपीसीआर टेस्ट और एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवेश के लिए कुछ जगह रुकना पड़ा था. कोशिश है कि 15 अगस्त को इस यात्रा को खत्म करें. 

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लगभग दो महीने का समय और लेकर चल रहे हैं. अभी तक कश्मीर से कन्याकुमारी तक आठ लोगों ने पैदल यात्रा की है, लेकिन अंतिम छोर से अब तक किसी ने पैदल यात्रा नहीं की है.
 

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