सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अब अयोध्या में राममंदिर के निर्माण से जुड़े मामलों को देखने के लिए गृह मंत्रालय सक्रिय हो गया है. गृह मंत्रालय ने अलग से एक अयोध्या डेस्क का गठन कर दिया है. यही डेस्क अब आगे की प्रक्रियाओं की देखरेख करेगा.
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दरअसल, गृह मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अयोध्या मामले को निपटाने और हैंडल करने के लिए अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश कुमार की अध्यक्षता वाली गृह मंत्रालय की यह नई विंग अयोध्या मुद्दे से जुड़े सभी मामलों को देखेगी.
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अब ज्ञानेश कुमार की अगुआई वाली गृह मंत्रालय की यह डेस्क अयोध्या मामले से जुड़े सभी मामलों को देखेगी. दिलचस्प बात यह है कि, अतिरिक्त सचिव ज्ञानेश कुमार गृह मंत्रालय में जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से जुड़े विभाग के प्रमुख हैं.
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कार्यों की बात करें तो नई डेस्क उन सभी मामलों की मॉनिटरिंग करेगी जो राम मंदिर से जुड़ी होंगी. रिपोर्ट्स के मुताबिक यूपी सरकार ने गृह मंत्रालय को जो प्रस्ताव भेजा है, वह भी अब नई डेस्क द्वारा देखे जाएंगे.
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सुन्नी वक्फ बोर्ड को जमीन देने का निर्णय:
अयोध्या डेस्क उस मामले को भी देखेगी जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को जमीन देने का आदेश दिया था. एक अधिकारी ने बताया कि इस तरह के सभी मामलों को गृह मंत्रालय की नई डेस्क हैंडल करेगी.
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इससे पहले ज्ञानेश कुमार गृह मंत्रालय की जम्मू-कश्मीर और लद्दाख से जुड़े विभाग के भी प्रमुख रहे हैं. अनुच्छेद 370 के तहत जम्मू-कश्मीर को मिले विशेष दर्जे को खत्म किए जाने और 2 केंद्रशासित प्रदेशों के फैसले में उनकीअहम भूमिका रही है.
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करना है ट्रस्ट का गठन:
राम मंदिर निर्माण के लिए अभी तक ट्रस्ट का गठन नहीं किया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने इसके लिए तीन महीने का समय दिया था, जो नौ फरवरी को पूरा होगा. बताया जा रहा है कि मकर संक्रांति के बाद कभी भी ट्रस्ट के गठन की घोषणा की जा सकती है.
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ट्रस्ट में नहीं होगा बीजेपी का कोई नेता:
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने एक बयान में कहा था कि बीजेपी का कोई भी नेता प्रस्तावित ट्रस्ट में शामिल नहीं होगा. इसके अलावा विहिप ने भी कहा था कि उसका भी कोई पदाधिकारी सीधे तौर पर ट्रस्ट का सदस्य नहीं होगा. (All Photos: PTI)
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पहले भी था अयोध्या प्रकोष्ठ:
हालांकि 1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में गृह मंत्रालय में एक समर्पित अयोध्या प्रकोष्ठ का गठन किया गया था, लेकिन अयोध्या पर लिब्रहान आयोग की जांच का जमा करने के बाद इसे बंद कर दिया गया था
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बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर को अपने फैसले में तीन महीने के भीतर मंदिर के लिए ट्रस्ट बनाने का आदेश दिया था. सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद सरकार का डेस्क बनाने का कदम काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है.