द्रोपदी राय का कहा, मैं पिता की तेरहवीं में बालाघाट आई थी. बेटा भी यही पढ़ता है सोचा उसके एग्जाम तक रुक जाऊं, लेकिन इसी बीच लॉकडाउन लग गया. जिसके बाद घर जाने के लिए कोई साधन नहीं मिला. तो अब अपने स्वर्गीय पिता की गाड़ी से ही टीकमगढ़ जा रही हूं. क्योंकि और कोई रास्ता नहीं है.'