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पानीपत: बच्चे के पैदा होते ही नाना-नानी थमा देते हैं बास्केटबॉल, इस गांव में नेशनल और इंटरनेशनल खिलाड़ियों की भरमार

अहर गांव से निकले हैं कई बास्केटबॉल खिलाड़ी (फोटो-कमलप्रीत सभरवाल)
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हरियाणा एक ऐसा राज्य है जहां पर लोगों में खेलों को लेकर काफी क्रेज देखा जाता है. खेलों की बदौलत युवा सुनहरे भविष्य का सपना देखते हैं और नौकरी हासिल करते हैं. इस राज्य देश को एक से एक बढ़कर वर्ल्ड क्लास खिलाड़ी दिए हैं. जिन्होंने हरियाणा का ही नहीं बल्कि देश का नाम भी रोशन किया है. वैसे तो हरियाणा को बॉक्सिंग, कुश्ती, एथलेटिक्स और कबड्डी के लिए जाना जाता है. लेकिन हम आपको एक ऐसे गांव की कहानी बताएंगे जहां पर लोग बास्केटबॉल के दीवाने हैं. 

(फोटो-कमलप्रीत सभरवाल)

अहर गांव से निकले हैं कई बास्केटबॉल खिलाड़ी (फोटो-कमलप्रीत सभरवाल)
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पानीपत से 28 किलोमीटर दूर स्थित अहर गांव के लोगों को बास्केटबॉल का जुनून इस कदर सवार है कि यहां पर पैदा होते ही बच्चे के हाथों में बास्केटबॉल थामा दी जाती है. इस गांव के ज्यादातर युवा बास्केटबॉल खेलना पसंद करते हैं और इसी बदौलत सरकारी नौकरियां हासिल करते हैं. 

अहर गांव से निकले हैं कई बास्केटबॉल खिलाड़ी (फोटो-कमलप्रीत सभरवाल)
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बास्केटबॉल प्लेयर सौरभ का कहना है कि इस गांव में नेशनल और इंटरनेशनल खिलाड़ियों की भरमार है. बताया जा रहा है कि जब गांव में इक्का-दुक्का खिलाड़ी हुआ करते थे और उन खिलाड़ियों ने गांव और देश का नाम रोशन किया तो गांव में पैदा होने वाले बच्चों के नाना- नानी भी पीलिया में बास्केटबॉल देने लगे. इसी के साथ गांव में हर पैदा होने वाले बच्चे को बास्केटबॉल देने का सिलसिला शुरू हुआ.  

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 अहर गांव से निकले हैं कई बास्केटबॉल खिलाड़ी (फोटो-कमलप्रीत सभरवाल)
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अहर गांव में लगभग 6 बास्केटबॉल के ग्राउंड हैं और ट्रेनिंग देने के लिए तीन कोच. इस गांव का रहने वाला साहिल भारतीय बास्केटबॉल टीम का कप्तान भी रह चुका है.  साहिल का कहना है कि गांव में बास्केटबॉल को बहुत क्रेज है. लड़का हो या लड़की हर कोई यहां बास्केटबॉल खेलता है. गांव के कई खिलाड़ी भारतीय टीम में भी रहे हैं. ग्रामीणों में भी खेल का जुनून इस कदर सवार है कि शाम होते ही जब बच्चे प्रैक्टिस करने के लिए ग्राउंड में पहुंचते हैं तो बड़े और बुजुर्ग भी वहां पहुंच जाते हैं. 

अहर गांव से निकले हैं कई बास्केटबॉल खिलाड़ी (फोटो-कमलप्रीत सभरवाल)
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गांव के लोग इस बात से भी खुश हैं कि बास्केटबॉल की वजह से बच्चों को नौकरियां मिल रही हैं. गांव वालों का कहना है कि  सरकार थोड़ा ध्यान दे तो इस गांव से कोबी ब्रायंट जैसे दिग्गज बास्केटबॉल खिलाड़ी भी निकलेंगे. 

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