फिटनेस इंस्ट्रक्टर बेली हट्ट एक बेहद अजीबोगरीब बीमारी से जूझ रही हैं. वे साल 2012 से ही नारकोलेप्सी नाम की बीमारी से ग्रस्त हैं. इस बीमारी के चलते उन्हें दिन में कई-कई बार नींद आती थी लेकिन फिटनेस और कोरोना ने उनकी जिंदगी बदलकर रख दी है.
बेली को नारकोलेप्सी के चलते लगातार नींद के अटैक पड़ते थे जिसके चलते वे स्कूल, एक्जाम, कैंटीन, घर यानि कहीं भी सो जाया करती थी. वे दिन में 16-16 घंटों तक सो चुकी हैं. बेली ने कहा कि उन्हें इस बीमारी के चलते कई बार शर्मिंदा होना पड़ता था क्योंकि उनके आसपास के लोग उनके हालातों को समझ नहीं पाते थे और वे बेहद हैरान हो जाते थे जब मैं थोड़े-थोड़े अंतराल पर ही सोने लगती थी.
बेली ने बताया कि उन्होंने इस बीमारी के चलते 16 साल की उम्र में स्कूल छोड़ दिया था. वे पहले इंटीरियर डिजाइन की पढ़ाई करने के लिए यूनिवर्सिटी जाना चाहती थीं लेकिन उन्हें एहसास हो गया था कि वे शायद ऐसा नहीं कर पाएंगी. बेली को ये भी एहसास हो गया था कि वे 9 से 5 की जॉब में काम नहीं कर पाएंगी. इस बीमारी के चलते बेली काफी तनाव में भी रहने लगी थीं.
हालांकि एक दिन बेली ने रनिंग करने का फैसला किया था और जब वे वापस लौटीं तो बेली की मां उन्हें देखकर हैरान थीं क्योंकि बेली लंबे समय बाद काफी एक्टिव लग रही थी. उसके बाद से ही उन्हें एहसास हो गया कि वे एक्सरसाइज को लेकर ही अपना करियर बनाएंगी क्योंकि एक्सरसाइज के सहारे उनकी हेल्थ अच्छी हो रही थी और वे अपनी बीमारी से भी लड़ पा रही थीं.
लेकिन बेली को जिम में ट्रेनर के तौर पर भी कुछ परेशानियों से गुजरना पड़ रहा था. हालांकि एक्सरसाइज के चलते उनके हालात पहले से बेहतर थे लेकिन नारकोलेप्सी के चलते उन्हें अब भी जिम में कभी-कभी स्लीप अटैक आते थे.
लेकिन जहां लॉकडाउन कई लोगों के लिए मुसीबत बन कर आया वही बेली के लिए ये काफी फायदेमंद साबित हुआ. बेली ने लॉकडाउन के दौरान अपने ऑनलाइन फिटनेस सेशन्स शुरु किए. इन सेशन्स का फायदा ये हुआ कि उनकी कमाई भी होने लगी और वे घर पर ही अपने सोने के शेड्यूल को भी ठीक से जारी रख पा रही थीं. ऐसे में कोरोना और एक्सरसाइज ने उनकी जिंदगी पर काफी पॉजिटिव असर डाला है.