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भोपाल: स्पर्म डोनेशन से बनीं मां, हिम्मत से भरी है संयुक्ता की कहानी

संयुक्ता बनर्जी
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'अपने अंदर एक और दिल को धड़कते देखने से ज्यादा खुशी कोई चीज नहीं दिला सकती.' भोपाल की संयुक्ता बनर्जी सिंगल मां बन गई हैं. संयुक्ता की शादी 2008 में हुई थी, लेकिन बाद में पति से अलग हो गईं. इसके बाद उन्होंने सिंगल मां बनने की ठानी, पहले बच्चे को गोद लेने की कोशिश की, लेकिन आखिर में स्पर्म डोनेशन से मां बन गईं.

संयुक्ता बनर्जी
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37 वर्षीय संयुक्ता बनर्जी बाउंड्री को तोड़ते हुए सिंगल मां बन गई हैं. संयुक्ता की कहानी काफी रोचक है. वह हर चैलेंज के सामने दीवार बनकर खड़ी हो गईं. परिवार और दोस्तों के भावनात्मक सपोर्ट से उन्होंने न केवल समाज के मिथ को तोड़ा बल्कि उन लड़कियों के लिए मिसाल बन गई हैं, जो बच्चे की चाहत रखती हैं, लेकिन सिंगल मां बनने से डरती हैं.

संयुक्ता बनर्जी
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aajtak.in से बात करते हुए संयुक्ता ने बताया कि मेरी शादी 20 अप्रैल 2008 में हुई थी. लेकिन कुछ कारणों से हम 2014 में अलग हो गए और 2017 में हमारा तलाक हो गया, फिर मैंने नए सिरे से जिंदगी शुरू की और बच्चा गोद लेने की ठानी, लेकिन मुझे निराशा हाथ लगी.

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संयुक्ता बनर्जी
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संयुक्ता बनर्जी ने बताया कि 7-8 साल से अडॉप्शन के लिए कोशिश कर रही थी, किन्हीं वजहों से उसमें सफलता नहीं मिली, ऐसे उम्मीद अब भी है कि एक बेटी अडॉप्ट कर पाऊं भविष्य में, लेकिन जब दिसम्बर 2020 में CARA से रजिस्ट्रेशन रिन्यू करने के लिए फोन आया तो मैं सोच में पड़ गई, लगा कि और 3 साल इंतजार के बाद भी अगर कुछ हासिल न हुआ तो क्या करूंगी, क्या मां बनने का सपना सपना ही रह जाएगा. फिर थोड़ा एक्सप्लोर करना शुरू किया.

संयुक्ता बनर्जी
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aatak.in से संयुक्ता बनर्जी ने कहा, 'पता चला कि सिंगल मॉम भी बना जा सकता है, अगर कोई पार्टनर नहीं है तो किसी फर्टिलिटी प्रोसेस की मदद ली जा सकती है, बहुत R&D करने के बाद तय किया कि डोनर के जरिए आर्टिफिशियल इन्सेमिनेशन के जरिए कोशिश करूंगी जिसे ICI यानि intra cervical insemination कहते हैं, ये फैसला आसान नहीं था, लेकिन अडॉप्शन करती तो भी सिंगल मॉम ही बनती औऱ बच्चे को पिता का नाम नहीं मिलता तो इसलिए मेरे लिए ये बहुत मुश्किल फैसला भी नहीं था.'

संयुक्ता बनर्जी
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संयुक्ता बनर्जी ने कहा, 'जब आपके पास फैमिली और फ्रेंड्स का अच्छा सपोर्ट सिस्टम हो तो ऐसे फैसले लेने में और आसानी होती है, और अपनी कोख में 8-9 महीने पालने के बाद उस नन्ही जान को जन्म लेते और उसे अपनी बाहों में भरने से ज्यादा भावुक कुछ और नहीं हो सकता.'

संयुक्ता बनर्जी
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aatak.in से संयुक्ता बनर्जी ने कहा, 'शेक्सपीयर के कहे उस बात को कि प्यार अंधा होता है-एक मां से ज्यादा कोई नहीं समझ सकता, जो बिना देखे, बिना जाने- अपने अंदर पल रही जान को पूरे दिल से चाहती है, इस दुनिया में सबसे ज्यादा चाहती है, खुद से भी ज्यादा.'

संयुक्ता बनर्जी
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संयुक्ता बनर्जी ने कहा, 'सिंगल मां बनकर मैंने कोई जंग नहीं जीती. जंग तो अभी शुरू हुई है, हर गुजरते दिन और गुजरते साल के साथ ये जंग और बड़ी होती जाएगी, मैं कैसी मां बन पाऊंगी ये कहना अभी बहुत जल्दबाज़ी होगा, लेकिन ये तय है की हिम्मत नहीं हारूंगी.'

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