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डेंगू और मलेरिया के प्रकोप से बचाएगी ये मछली, दरभंगा लाई गईं 20 हजार मछलियां

अब ये मछली बचाएगी डेंगू और मलेरिया के प्रकोप से.
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मच्छरों के प्रकोप से अब निजात दिलाएगी मछलियां यानी 'मछली पालो मच्छर भगाओ' बिहार के दरभंगा में कुछ ऐसा ही प्रयोग किया जा रहा है. जहां अब मच्छर से बचने के लिए तालाबों और नालों में गम्बूजिया मछली को बाहर से लाकर डाला गया है. बताया जा रहा है कि इस मछली का मुख्य भोजन मच्छर का लार्वा है. मछली पानी में मौजूद मच्छर के लार्वे को खा जाती है जिससे नए मच्छर पैदा नहीं होते और ना ही पनपते हैं.

नालंदा से लाई गई 20000 मछलियां.
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मच्छरों का प्रकोप उन इलाके में बिल्कुल कम हो जाता है जहां इस मछली का पालन किया जाता है. यानी दरभंगा के लोगों को मच्छरों के प्रकोप से बचने के लिए अब न कोई स्प्रे या मच्छर भगाने की अगरबत्ती जलाने की जरूरत है, न ही कोई धुंआधुकर करने की जरूरत है. दरअसल, अब दरभंगावासियों को मच्छर से निजात दिलाने के लिए सिर्फ गम्बूजिया मछली पालिए और मच्छरों से निजात पाइए. साथ ही मच्छरों से होने वाली डेंगू और मलेरिया जैसी जानलेवा बीमारी से भी बचा जा सकता है. 

नालंदा से लाई गई 20000 मछलियां.
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दरभंगा डीएम त्याग राजन की पहल पर फिलहाल नालंदा शहर से तक़रीबन 20000 गम्बूजिया मछलियों को दरभंगा लाया गया है जिसे शहर के प्रमुख कई तालाबों में डाला गया. ताकि तालाबों के पानी में पल रहे मच्छरों के लार्वे को यह गम्बूजिया मछली खा जाए और शहरवासियों को मच्छरों का प्रकोप न झेलना पड़े.

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नालंदा से लाई गई 20000 मछलियां.
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मछली पालन की ट्रेनिंग लेकर दरभंगा पहुंचे अशोक कुमार ने बताया कि तकरीबन 20000 मछलियों को नालंदा से दरभंगा लाया गया है जिसे कई तालाबों और कुछ नालों में भी डाला गया है. गम्बूजिया मछली की लाइफ मात्र सिर्फ तीन महीने होती है और यह मछली अंडे की जगह सीधे बच्चे को जन्म देती है. बच्चे को जन्म देते ही मछली की मौत खुद ब खुद हो जाती है. उन्होंने कहा कि अभी इन मछलियां को प्रयोग के तौर पर दरभंगा लाया गया है, सफल होने पर इसे पूरे जिले में लागू किया जायेगा.

नालंदा से लाई गई 20000 मछलियां.
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वहीं, लालबाग मोहल्ले के सचिन राम ने दरभंगा के डीएम त्याग राजन की खूब तारीफ करते हुए कहा कि उनका यह प्रयास सराहनीय है. दरभंगा के डीएम लगातार अच्छे और नए काम करते हैं जिससे जिले के लोगों को काफी फायदा मिलता है. दरभंगा के डीएम त्याग राजन ने कहा कि यह प्रयोग वैज्ञानिक तरीके से सफल है. उन्होंने बताया कि जब वह नालंदा के डीएम थे तब इस मछली को बिहारशरीफ में प्रयोग के तौर पर ठहरे पानी और तालाबों में डाला गया था. 

नालंदा से लाई गई 20000 मछलियां.
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डीएम त्याग राजन ने आगे बताया कि इसके परिणाम काफी सफल साबित हुए हैं और मच्छरों का प्रकोप बिल्कुल समाप्त हो गया. उन्होंने बताया कि मछली का नाम गम्बूजिया है और इसका मुख्य भोजन मच्छर का लार्वा ही है. ऐसे में मछली मच्छर के लार्वे को खा जाती है जिससे मच्छरों की संख्या में अचानक कमी आ जाती है. मच्छरों का लार्वा ठहरे पानी में होता है. इसी ठहरे पानी में इस मछली को डाल देने से नए मच्छर नहीं पनपते हैं. 

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