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ब‍िहार: अपने ही हाथों से तोड़ रहे 5 द‍िन से अपना मकान, अजीब मजबूरी का कर रहे सामना

Bihar Demolishing his house
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ब‍िहार के गोपालगंज में गंडक का जलस्तर जरूर कम हुआ है लेकिन लोगों की परेशानी कम नहीं हुई है. यहां पर गंडक के कटाव की वजह से कई लोग अपने घरों को तोड़ने के लिए मजबूर हो गये हैं.

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गोपालगंज प्रखंड के जगरी टोला पंचायत के वार्ड नंबर 4 में बाबू जान अंसारी अपने घर को तोड़ रहे हैं. यह दो मंजिला आलीशान मकान है जिसे 4 या 5 साल पहले लाखों रुपये खर्च कर इस मकान का निर्माण कराया गया था लेकिन गंडक में आई बाढ़ ने सब कुछ तबाह कर दिया है.

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इस गांव के लोग पिछले 10 दिनों से गंडक नदी में घिरे हुए थे. बाढ़ में यहां पर लोगों का रहना मुश्किल हो गया है. यहां न बिजली है न पीने का पानी, लिहाजा अब बाबूजान अंसारी के परिवार के लोग इस घर को तोड़ रहे हैं. तिनका-तिनका और एक-एक ईंट जोड़कर बनाया गया, यह घर अब टूट रहा है. घर का एक-एक ईंट बाहर निकाला जा रहा है ताकि वह कहीं और अपना घर बना सकें.
 

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इस घर की एक-एक ईंट को लोग ऊंचे स्थान पर ले जाने का मन बना लिया है. इसे कारण कहे या मजबूरी कि बहुत श्रद्धा से बनाये गए मकान को अब तोड़ना पड़ रहा है लेकिन कहां जाएंगे, कहां रहेंगे. अब इसका ठिकाना उन्हें भी नहीं है.

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वार्ड नंबर 4 के बाबू जान अंसारी के अलावा भी कई लोगों ने अपने घरों को छोड़ दिया है. वे बाढ़ के आने से पहले ही यहां से झोपड़ियों को छोड़ पलायन कर गये है. अगर कुछ है तो मकान या बाढ़ का फैला हुआ पानी या नजदीक में गंडक नदी का तेज बहता हुआ पानी का धारा.

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ग्रामीणों के मुताबिक, उनका गांव अब गंडक नदी के बहुत करीब आ गया है जिससे यहां पर हर साल बाढ़ की तबाही झेलनी पड़ती है. लिहाजा अब यहां से चला जाना ही बेहतर है. 

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अपने बनाये गए सुंदर पक्का मकान को तोड़ने वाले अदनान अंसारी कहते हैं कि बाढ़ का पानी आता है तो सभी घरों के अंदर चला जाता है, इससे हर तरह की दिक्कतें झेलनी पड़ती है जबकि नुरेशा खातून कहती है कि लड़के के सभी कमाई से मकान बनवाये पर अब तोड़ना मजबूरी हो गई है. इसका सामान रहेगा तभी तो दूसरे जगह मकान बनेगा लेकिन अब कहां और कैसे बनेगा, ये तो अल्लाह ही जानते हैं.

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