बिहार में गंडक नदी में आई बाढ़ के मंजर ने गोपालगंज के कई गांवों में तबाही मचा रखी है. हर साल की तरह इस बार निचले हिस्से में बसे करीब 42 गांवों में इस साल दूसरी बार तबाही का नजारा दिख रहा है.
जिला मुख्यालय से करीब 12 किलोमीटर दूर माझा अंचल के निमुईया पंचायत में पूरी तरह बाढ़ के विभीषिका से लोग तबाह हो चुके हैं जबकि इसका तांडव आगे रुकनेवाला नहीं दिखता.
बिहार में गोपालगंज की गंडक नदी में आई बाढ़ के लोगों का जीना मुहाल हो गया है. खाना बनाने की समस्या, नमक, तेल व अन्य सामग्री के लिए बाजार जाने और लाने के समय डूबने के भय बना रहता है. हैंडपंप भी बाढ़ के पानी में डूब गए हैं, ऐसे में पीने के पानी भी लोगों को नहीं मिल पा रहा.
हैरत तो उस समय हुई जब बांस के बनाये खंड और उसे कपड़े से चारों तरफ से पर्दा डाल लोग शौचालय के रूप में उपयोग करते लोग दिखे. इसे जुगाड़ का शौचालय कह सकते हैं.
इस संबंध में माझा अंचल के निमुईया गांव के बाढ़ पीड़ित जनक देव राम का कहना है कि खाने-पीने और रहने का साधन नहीं है. उसी तरह चारों तरफ पानी है जिससे शौच करना सबसे बड़ी समस्या है. इससे निपटने के लिए बांसों की मदद से जुगाड़ का शौचालय भी बनाया गया है. पर्दे के लिए चारों तरफ से कपड़ा डाल दिया गया है. उसी में परिवार के सभी लोग शौच करते हैं. नीचे से पानी बहा ले जाता है.
गोपालगंज जिले के कुचायकोट, गोपालगंज, माझा, बरौली, सिधवलिया और बैकुंठपुर प्रखंड के करीब 42 गांवों में तीन दिनों में दूसरी बार बाढ़ का पानी प्रवेश कर गया है. झोपड़ियों में पानी, सड़कों पर पानी, पानी मे डूबे हैंडपंप, बांस के बने मचान पर बैठे लोगों की तबाही अलग ही गवाही दे रही है. नाव ही यहां आवागमन का एक मात्र साधन है.