वैसे तो हमारे देश मे कई तरह के खाने-पीने की चीजों के लंगर लगते रहते हैं लेकिन फरीदकोट की 'तेरा-तेरा' संस्था द्वारा एक अनूठा लंगर लगाया जाता है. यह लंगर शहरवासियों में चर्चा का विषय बना हुआ है. हर तरफ जिस लंगर की जमकर तारीफ हो रही है वह कोई आम लंगर नहीं है बल्कि किताबों का लंगर है.
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पंजाब के फरीदकोट में तेरा-तेरा' संस्था द्वारा 'पेड़ बचाओ, पानी बचाओ' और 'कागज बचाओ' का उद्देश्य लेकर स्कूल के बाहर एक ऐसा स्टॉल लगाया जाता है जहां पर स्कूल से संबंधित हर कक्षा की किताबों के सेट रखे मिलते हैं जहां से कोई भी जरूरतमंद बच्चा अपनी जरूरत अनुसार किताबें ले जा सकता है.
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ये किताबें संस्था के मेंबर पैसों से नहीं खरीदते बल्कि स्कूल के बच्चे किसी भी कक्षा से पास होकर अपनी पुरानी किताबों का सेट इस स्टॉल में जमा करवा जाते हैं और नई कक्षा का किताबों का सेट यहां से तब्दील कर ले जाते हैं. संस्था द्वारा दूसरी बार यह स्टाल लगाया गया है जिसमें हजारों की गिनती में बच्चे अपनी किताब एक्सचेंज कर फायदा ले चुके हैं.
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अब इस साल में इस संस्था द्वारा एक और पहल की गई है. जिन बच्चों की स्कूल की ड्रेस छोटी हो जाती है, उसे वह इस स्टॉल पर दे जाते हैं ताकि गरीब परिवारों के जरूरतमंद बच्चों को बांटी जा सके.
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संस्था के मेंबर अमनदीप ने बताया कि 'तेरा-तेरा' संस्था द्वारा दूसरी बार ये किताबों का एक्सचेंज स्टाल लगाया गया है जिसमें स्कूल के बच्चे अपनी पुरानी कक्षा की किताबें रख जाते हैं और नई कक्षा की किताबें ले जाते हैं. इस तरह माता-पिता पर आंतरिक बोझ नहीं पड़ता और किताबों के नाम पर हो रही लूट से भी बचाव हो जाता है.
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वहीं, इस संस्था का उद्देश्य एक संदेश 'पानी बचाओ, पेड़ बचाओ' और 'कागज बचाओ' पब्लिक तक पहुंचाना है क्योंकि इन किताबों को तैयार करने के लिए हजारों पेड़ों की कटाई कर उनसे कागज तैयार किया जाता है.
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अगर देखें तो एक किताब तीन-चार साल तक बदली नहीं जाती. अगर हम थोड़ी सावधानी से रखें तो ये दूसरे बच्चों के काम आ जाती है.