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कोरोना वैक्सीन की खोज में UK सबसे आगे, रैंडमाइज्ड ड्रग ट्रायल का कमाल

कोरोना वैक्सीन की खोज में UK सबसे आगे, रैंडमाइज्ड ड्रग ट्रायल का कमाल
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दुनिया में इस समय 100 से ज्यादा देश के वैज्ञानिक कोरोना महामारी के खिलाफ दवा और वैक्सीन विकसित करने में जुटे हुए हैं लेकिन इस रेस में ब्रिटेन सबसे आगे नजर आ रहा है. रैंडमाइज्ड ड्रग ट्रायल कार्यक्रमों की वजह से अब ब्रिटेन के वैज्ञानिकों के संघर्ष और प्रयासों की तारीफ हो रही है. ब्लूमबर्ग के ओपिनियन कॉलम में प्रमुख अमेरिकी अर्थशास्त्री टायलर कोवेन ने लिखा है, कोरोना वायरस की रोकथाम के लिए ब्रिटिश शोधकर्ताओं की कोशिशों की प्रशंसा की जानी चाहिए.
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ब्रिटेन में कोरोना के खिलाफ दवा और वैक्सीन विकसित करने के लिए एक बड़ा दवा-परीक्षण कार्यक्रम चलाया जा रहा है. इस व्यापक अभियान में 3,000 से अधिक डॉक्टरों और नर्सों की मदद से 12,000 से ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीजों का देश भर के 176 अस्पतालों में इलाज किया जा रहा है. ये परीक्षण आईसीयू में  गंभीर रूप से बीमार लोगों पर किया जा रहा था, कोरोना संक्रमण की वजह से वहां रोगियों की संख्या में भारी इजाफा हुआ है.

कोरोना वैक्सीन की खोज में UK सबसे आगे, रैंडमाइज्ड ड्रग ट्रायल का कमाल
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ऐसे समय में जब लोगों के लिए इस महामारी का इलाज कराना महंगा साबित हो रहा था तो ब्रिटेन ने गंभीर रूप से संक्रमित लोगों के लिए रैंडमाइज्ड ड्रग ट्रायल तकनीक के जरिए सस्ता इलाज खोजा. पहले मरीजों का जिस तरह इलाज किया जा रहा था वो ज्यादा कारगर भी नहीं था और महंगा भी था. कोई भी अन्य देश इस मामले में अभी ब्रिटेन का मुकाबला नहीं कर सकता.
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लोगों के लिए इस महामारी के खिलाफ सस्ता इलाज विकसित करने वाले ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के मार्टिन लैंडरे कहते हैं, "यह चार महीने असाधारण रहा है और हाँ, यह कुछ ऐसा है जिस पर ब्रिटेन को गर्व हो सकता है." लैंडरे कोरोना वायरस के खिलाफ एक सस्ता परीक्षण सिस्टम को स्थापित करने में विशेषज्ञ के तौर पर काम कर रहे हैं, जबकि उनके सह-संस्थापक पीटर हॉर्बी, संक्रामक रोग विशेषज्ञ हैं जो बीते साल सर्दियों के मौसम में वुहान में कोरोना ड्रग परीक्षणों में शामिल थे जब पहली बार ये महामारी सामने आई थी.
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हॉर्बी ने बताया कि ये अध्ययन तब हुआ जब बढ़ते संक्रमण की वजह से चीनी अधिकारियों ने कठोर लॉकडाउन लागू कर दिया. उसी समय, यूरोप में कोरोना के मामले सामने आने लगे और मुझे एहसास हुआ कि हमें यहां काम शुरू करने की जरूरत है.
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इसके बाद दोनों ने मिलकर रिकवरी यूनिट की स्थापना की, जो कोरोना वायरस के खिलाफ थेरेपी के रैंडमाइज्ड इवैल्यूएशन पर आधारित था. लैंडरे कहते हैं, "हमें एहसास हुआ कि डॉक्टर जल्द ही इलाज की तलाश में लग जाएंगे. "अगर हमने जल्दी से परीक्षण शुरू नहीं किया, तो हमें कभी भी नहीं पता चलेगा कि हमारे द्वारा उपयोग की जाने वाली दवाएं अच्छी थीं या नहीं.
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पहले मरीज के इलाज के लिए इन दोनों विशेषज्ञों को प्रोटोकॉल तैयार करने में नौ दिन लगे. हॉर्बी ने बताया कि "आमतौर पर ऐसा करने में नौ महीने लगते हैं, तैयारियों के बाद परीक्षण के लिए हमने आठ सप्ताह के भीतर 10,000 रोगियों को भर्ती किया.
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रैंडमाइज्ड ड्रग ट्रायल उपयोगी दवाओं को पिलाने, बेहोश करने और पूर्वाग्रहों को दूर करने के लिए मानक हैं जिसके तहत चिकित्सकों के निर्णयों को बदल सकते हैं. हजारों लोगों को एक दवा या एक प्लेसबो दिया जाता है और यह किसी भी मरीज को पता नहीं होता कि वे क्या ले रहे हैं. फिर परिणामों की तुलना की जाती है और उपचार की प्रभावकारिता का पता चलता है.

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