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चीन से US पहुंची खतरनाक बीमारी, गिलहरी में ब्यूबोनिक प्लेग का बैक्टीरिया

चीन से US पहुंची दूसरी खतरनाक बीमारी, गिलहरी में ब्यूबोनिक प्लेग का बैक्टीरिया
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कोरोना वायरस से जूझ रही दुनिया के लिए बुरी खबर है. चीन के बाद अब अमेरिका के कोलोराडो में एक गिलहरी को ब्यूबोनिक प्लेग (Bubonic Plague) से संक्रमित पाया गया है. अब अमेरिकी वैज्ञानिकों को इस बात का डर सता रहा है कि चीन से आए कोरोना के बाद अब दोबारा चीन से आई ब्यूबोनिक प्लेग बीमारी न फैल जाए. (फोटोः एएफपी)
चीन से US पहुंची दूसरी खतरनाक बीमारी, गिलहरी में ब्यूबोनिक प्लेग का बैक्टीरिया
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करीब 10 दिन पहले चीन के आंतरिक मंगोलिया में ब्यूबोनिक प्लेग फैलने की खबर आई थी. आपको बता दें कि ब्यूबोनिक प्लेग ने दुनिया पर तीन बार हमला किया है. पहली बार इसने 5 करोड़, दूसरी बार पूरे यूरोप की एक तिहाई आबादी और तीसरी बार 80 हजार लोगों की जान ली थी. अब एक बार फिर इस बीमारी के फैलने की खबर दस दिन में चीन और अमेरिका से आ गई है. 
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अमेरिका के कोलोराडो के मॉरिसन कस्बे में 11 जुलाई को एक गिलहरी ब्यूबोनिक प्लेग से संक्रमित पाई गई है. कोलोराडो में प्रशासन ने लोगों को अलर्ट रहने को कहा है. साथ ही घरों से चूहों, गिलहरियों और नेवलों से दूर रहने को कहा है. (फोटोः गेटी)
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ब्यूबोनिक प्लेग चूहों में पाए जाने वाली बैक्टीरिया से फैलता है. इस बैक्टीरिया का नाम है यर्सिनिया पेस्टिस बैक्टीरियम (Yersinia Pestis Bacterium). यह बैक्टीरिया शरीर के लिंफ नोड्स, खून और फेफड़ों पर हमला करता है. इससे उंगलियां काली पड़कर सड़ने लगती है. नाक के साथ भी ऐसा ही होता है.
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ब्यूबोनिक प्लेग को गिल्टीवाला प्लेग भी कहते हैं. इसमें शरीर में असहनीय दर्द, तेज बुखार होता है. नाड़ी तेज चलने लगती है. दो-तीन दिन में गिल्टियां निकलने लगती हैं. 14 दिन में ये गिल्टियां पक जाती हैं. इसके बाद शरीर में जो दर्द होता है वो अंतहीन होता है. 
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ब्यूबोनिक ब्लेग सबसे पहले चूहों को होता है. चूहों के मरने के बाद इस प्लेग का बैक्टीरिया पिस्सुओं के जरिए मानव शरीर में प्रवेश कर जाता है. इसके बाद जब पिस्सू इंसानों को काटता है वह संक्रामक लिक्विड इंसानों के खून में छोड़ देता है. बस इसी के बाद इंसान संक्रमित होने लगता है. चूहों का मरना आरंभ होने के दो तीन सप्ताह बाद मनुष्यों में प्लेग फैलता है.

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दुनिया भर में ब्यूबोनिक प्लेग के 2010 से 2015 के बीच करीब 3248 मामले सामने आ चुके हैं. जिनमें से 584 लोगों की मौत हो चुकी है. इन सालों में ज्यादातर मामले डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो, मैडागास्कर, पेरू में आए थे.
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इससे पहले 1970 से लेकर 1980 तक इस बीमारी को चीन, भारत, रूस, अफ्रीका, लैटिन अमेरिका और दक्षिण अमेरिकी देशों में पाया गया है. (फोटोः एएफपी)
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ब्यूबोनिक प्लेग को ही 6ठीं और 8वीं सदी में प्लेग ऑफ जस्टिनियन (Plague Of Justinian) नाम दिया गया था. इस बीमारी ने उस समय पूरी दुनिया में करीब 2.5 से 5 करोड़ लोगों की जान ली थी.
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ब्यूबोनिक प्लेग का दूसरा हमला दुनिया पर 1347 में हुआ. तब इसे नाम दिया गया था ब्लैक डेथ (Black Death). इस दौरान इसने यूरोप की एक तिहाई आबादी को खत्म कर दिया था.
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ब्यूबोनिक प्लेग का तीसरा हमला दुनिया पर 1894 के आसपास हुआ था. तब इसने 80 हजार लोगों को मारा था. इसका ज्यादातर असर हॉन्गकॉन्ग के आसपास देखने को मिला था. भारत में 1994 में पांच राज्यों में ब्यूबोनिक प्लेग के करीब 700 केस सामने आए थे. इनमें से 52 लोगों की मौत हुई थी.
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