दिल्ली में सीएए को लेकर भड़की हिंसा में सोमवार को हेड कांस्टेबल रतन लाल की मौत हो गई थी. दिल्ली पुलिस रतन लाल का शव लेकर उनके पैतृक गांव पहुंची है. रतन लाल राजस्थान के सीकर के सदिनसर के रहने वाले थे.
(फोटो- निखिल शर्मा/ PTI)
दिल्ली पुलिस जिस ट्रक से रतन लाल का शव लेकर सीकर पहुंची, उसके ऊपर गद्दार वाला मैसेज लिखा था. ट्रक पर लिखा था- 'दुश्मनों के बीच से जिंदा आया भारत का लाल, वतन में छिपे गद्दारों के हाथों मरे श्री रतनलाल.... सैल्यूट.' ट्रक पर वायुसेना के अधिकारी अभिनंदन और रतन लाल की तस्वीरें भी थीं.
रतन लाल का परिवार उन्हें शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग कर रहा है. जब
उनका शव पैतृक गांव पहुंचा तो परिजन शव के साथ ही धरने पर बैठ गए.
जब रतन लाल की पत्नी पूनम को पति के शहीद होने की खबर मिली वह बेहोश हो गई थीं. रतन लाल अपने पीछे तीन बच्चों, सिद्धि (13), कनक (10) और राम (8) को छोड़ गए हैं.
रतन लाल1998 में दिल्ली पुलिस में सिपाही के पद पर भर्ती हुए थे. 2004 में जयपुर की रहने वाली पूनम से उनका विवाह हुआ था.
दिल्ली में रतन लाल बुराड़ी के अमृत विहार कॉलोनी में रहते थे. रतन लाल को श्रद्धांजलि देने के लिए दिल्ली के राज्यपाल भी पहुंचे थे.
रतन लाल के परिजनों की मांग है कि सरकार उनके बच्चों के पढ़ने-लिखने के लिए भी उचित व्यवस्था करे. परिजनों का कहना था कि रतन लाल की आमदनी से ही उनके परिवार का खर्च चलता था.
रतन लाल के छोटे भाई दिनेश ने कहा था- "रतन लाल गोकुलपुरी के सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) के रीडर थे. उनका तो थाने-चौकी की पुलिस से कोई लेना-देना ही नहीं था. वो तो एसीपी साहब मौके पर गए, तो सम्मान में रतन लाल भी उनके साथ चला गया.
दिनेश ने कहा था कि भीड़ ने रतन लाल को घेर लिया था और मार डाला.
दिनेश ने कहा- 'आज तक हमने कभी अपने भाई में कोई पुलिस वालों जैसी हरकत नहीं देखी.' वहीं, दिल्ली पुलिस के सहायक उप-निरीक्षक हीरालाल ने कहा- 'मैं रतन लाल के साथ
करीब ढाई साल से तैनात था. आज तक मैंने कभी उसे किसी की एक कप चाय तक पीते
नहीं देखा.'
हीरालाल ने कहा- वो हमेशा अपनी जेब से ही खर्च करता रहता था. अफसर हो या फिर संगी-साथी सभी रतन लाल के मुरीद थे. उसके स्वभाव में भाषा में कहीं से भी पुलिसमैन वाली बात नहीं झलकती थी.
बता दें कि रतन लाल तब हिंसा के शिकार हो गए थे जब दिल्ली के मौजपुर में लोगों की भीड़ सड़कों पर उतर आई थी और तोड़फोड़ करते हुए आगजनी शुरू कर दी थी.
हिंसा रोकने के क्रम में रतन लाल को पत्थर से चोट लग गई और अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया.
बताया जाता है कि रतन लाल को घटना वाले दिन बुखार हो गया था, लेकिन वे शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए ड्यूटी पर डटे रहे थे.
बता दें कि बुधवार दोपहर तक दिल्ली हिंसा में मरने वालों की संख्या 20 पहुंच गई है. वहीं, बुधवार सुबह भी दिल्ली के गोकुलपुरी
इलाके में हिंसक प्रदर्शन हुआ, यहां पर कुछ उपद्रवियों ने एक दुकान में आग
लगा दी.
हिंसा के माहौल के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपील की है कि दिल्ली में हिंसा प्रभावित इलाकों में सेना की तैनाती होनी चाहिए.