आपने शोले फिल्म का वो डायलॉग तो सुना ही होगा जिसमें डाकू कहता है बेटा सो जा नहीं तो गब्बर आ जाएगा. जी हां कुछ ऐसा ही खौफ था चंबल के जंगलों में डकैत मोहर सिंह का. अमीरों में उसका खौफ था लेकिन कुछ लोगों के बीच वो रॉबिन हुड की तरह जाना जाता था.
93 साल की उम्र में चंबल के कुख्यात डकैत मोहर सिंह का मध्य प्रदेश के भिंड में निधन हो गया. मोहर सिंह 70 और 80 के दशक में अपनी बड़ी-बड़ी मूंछों के लिए पूरे देश में पहचाने जाते थे.
मोहर सिंह के बारे में कहा जाता है कि वो आपराधिक पेशे में भी महिलाओं पर हमला नहीं करता था.
मोहर सिंह डकैती के दौरान जो भी पैसे और राशन लूटता था उसे गरीबों और लाचारों के बीच बांट दिए जाने के लिए भी चर्चित था. वो गरीब लड़कियों की शादी भी लूटे हुए पैसे से ही करवाता था.
साल 1972 में जननायक जय प्रकाश नायारण के आह्वान पर मोहर सिंह ने डकैती का रास्ता छोड़ दिया और अपने गुट के 140 डकैतों के साथ आत्मसमर्पण कर दिया.
आठ साल जेल में बिताए जाने के बाद उन्हें समय से पहले रिहाई मिल गई जिसके बाद उन्होंने अपना शेष जीवन अपनी लुप्त होती चमक के साये में बिताया. उन पर उस वक्त हत्या, अपहरण और तमाम अन्य अपराध को लेकर 500 केस दर्ज किए गए थे.
मोहर सिंह बतौर डाकू देश में इतने कुख्यात हुए थे कि उनपर साल 1982 में चंबल का डाकू फिल्म भी बनी थी. दिलचस्प बात यह है कि फिल्म में डाकू का किरदार भी उन्होंने खुद ही निभाया. इस फिल्म को बाजार में यह कहकर प्रचारित किया गया था कि पहली बार स्क्रीन पर देखें सच्चे डाकू.