उत्तराखंड के चमोली में ग्लेशियर टूटने के कारण भारी आपदा आई थी जिसमें 100 से ज्यादा लोगों की जान चली गई. जबकि लोग अब भी लापता है. अब इस आपदा के 26 दिन बाद वहां जन-जीवन एक बार फिर से सामान्य होने लगा है. 7 फरवरी को आई आपदा की वजह से चमोली के रैणी गांव में भी भारी क्षति पहुंची थी और पुल भी बह गया था.
पुल के टूट जाने की वजह से नीति घाटी के 13 गांवों सहित भारत-तिब्बत बॉर्डर का सड़क संपर्क पूरी तरह से देश दुनिया से कट चुका था. गाड़ियों की आवाजाही पूरी तरह से ठप हो चुकी थी. अब बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (बीआरओ) ने एक बार फिर से इस जगह पर पुल का निर्माण कर दिया है. इस मोटर पुल से गाड़ियों की आवाजाही शुरू हो चुकी है.
बीआरओ के अधिकारी ने इस पुल के निर्माण को लेकर बताया कि इसे महज 8 दिनों के भीतर तैयार किया गया है. इस काम में 200 से अधिक लोगों को युद्ध स्तर पर लगाया गया था और 8 दिनों के अथक मेहनत के बाद पुल को तैयार कर दिया गया. पुल के निर्माण में 8 मशीनें रात-दिन यहां पर काम करती रहीं, जिसकी वजह से गाड़ियों की आवाजाही फिर से शुरू हो चुकी है.
पुल के शुभारंभ के दौरान बीआरओ के जवानों में जबरदस्त उत्साह देखने को मिला और उन्होंने पूजा के बाद भारत माता की जय के साथ बद्री विशाल लाल की जय के नारे लगाए. वहीं नीति घाटी के स्थानीय लोग भी इस पुल के बनने से बहुत ज्यादा उत्साहित हैं. लोगों का कहना है इतनी जल्दी पुल बनकर तैयार हो गया है कि अब हम कभी दिन हो या रात इधर-उधर आ जा सकते हैं. उन्होंने बताया बीते करीब 1 महीने से हम लोग नीति घाटी में कैद होकर रह गए थे.
बता दें कि 7 फरवरी को चमोली में ग्लेशियर टूटने के बाद भारी तबाही मची थी. हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट में काम कर रहे कई मजदूर इसमें बह गए थे. चमोली पुलिस के मुताबिक, अब तक 72 लोगों के शव बरामद किए जा चुके हैं, जबकि 30 लोगों के शरीर के अंग अलग-अलग जगह से बरामद किए गए हैं.