जो अंडे हम खाते हैं उसके पीछे एक छिपी हुई कीमत होती है. हर साल पूरी दुनिया में करीब 7 बिलियन यानी 700 करोड़ नर चूजों की हत्या की जाती है. क्योंकि चिकन इंडस्ट्री में इनकी जरूरत कम पड़ती है. ज्यादा जरूरत होती है मुर्गियों की. क्योंकि वो अंडे देती हैं. अब चूजों की हत्या रोकने के लिए इजरायल के एक स्टार्ट अप ने नया तरीका खोजा है. तरीका अनोखा है- अंडे से निकलने से पहले ही मुर्गी में बदल जाएंगे मुर्गे. आइए जानते हैं इसके बारे में... (फोटोःगेटी)
दुनिया भर के मुर्गी पालन करने वाले किसानों को पता है कि जितने अंडे मुर्गियां देती हैं. उनमें से आधे नर चूजे निकल जाते हैं. इन नर चूजों को मीट के लिए पालना आर्थिक रूप से नुकसानदेह होता है. इसलिए कई बार इंग्लैंड जैसे देशों में इन नर चूजों को श्रेडिंग मशीन में डाल दिया जाता है. कई जगहों पर इन्हें गैस देकर मार दिया जाता है. (फोटोःगेटी)
द गार्जियन वेबसाइट में प्रकाशित खबर के अनुसार अगर यही मुर्गे अगर अंडे से निकलने से पहले मुर्गी बन जाएं तो इनकी हत्या नहीं होगी. ये पोल्ट्री इंडस्ट्री को बढ़ावा भी देंगे. मुर्गी बनने वाले मुर्गे बाद में अंडे भी देंगे. ये तरीका निकाला है इजरायल की स्टार्ट अप कंपनी सूस टेक्नोलॉजी (Soos Technology) ने. (फोटोःगेटी)
सूस टेक्नोलॉजी (Soos Technology) की स्थापना साल 2017 में हुई थी. उसके बाद इसे 3.3 मिलियन डॉलर यानी 24.08 करोड़ रुपए का निवेश भी मिला. अब यह कंपनी चाहती है कि कॉमर्शियल फॉर्म्स में पोल्ट्री भ्रूण (Embryos) का सेक्स बदल दिया जाए. ताकि जब वो विकसित हो तो अंडे से मादा चूजे ही निकले. (फोटोःगेटी)
सूस टेक्नोलॉजी (Soos Technology) ने साउंड वाइब्रेशन के जरिए ये काम करने का फैसला किया है. इस कंपनी सीईओ याएल अल्टर ने कहा कि अंडों को साउंड वाइब्रेशन के सामने रखते हैं तो इसकी वजह से नर चूजों के जीन में बदलाव होता है. इससे उनका नर अंडकोष बदल कर महिला अंडकोष यानी ओवरी में बदल जाता है. (फोटोःगेटी)
याएल कहते हैं कि उनकी कंपनी फिलहाल ये प्रयोग कर रही है. हमने अब तक जितने अंडों पर ये साउंड वाइब्रेशन का प्रयोग किया उनमें से 60 फीसदी अंडों में जीन बदल रहा है. यानी मुर्गों की जगह मुर्गियां पैदा हो रही हैं. इससे सबसे बड़ा फायदा ये होगा कि नर चूजों को मारने की जरूरत नहीं पड़ेगी. सूस टेक्नोलॉजी (Soos Technology) की कोशिश है कि वो हर अंडे से नर चूजों को बदलकर मादा चूजा कर दें. (फोटोःगेटी)
सूस टेक्नोलॉजी (Soos Technology) फिलहाल तीन देशों में अपना प्रयोग कर रही है. इजरायल, अमेरिका और इटली. कंपनी का कहना है कि फिलहाल हम यह समझने की तकनीक विकसित कर रहे हैं कि जिससे हमें अंडा देखकर पता चल जाए कि इससे नर निकलेगा या मादा. इसलिए ये लोग एग फ्लूड का सैंपल और ऑप्टिकल टेक्नोलॉजी का उपयोग कर रहे हैं. (फोटोःगेटी)
एग फ्लूड का सैंपल लेकर ऑप्टिकल टेक्नोलॉजी के जरिए उसकी जांच करते हैं. उसके बाद साउंड वाइब्रेशन से जीन बदल कर उसे नर से मादा चूजा बना देते हैं. कई यूरोपीय देश तो चाहते हैं कि नर चूजों को मारना बंद किया जाए. फ्रांस तो साल 2021 तक नर चूजों को मारना बंद कर देगा. क्योंकि ये देश सूस टेक्नोलॉजी (Soos Technology) के तरीकों से खुश हुए हैं. (फोटोःगेटी)
साउंड वाइब्रेशन से अंडों के अंदर मौजूद जीव का लिंग बदल देना एक कठिन प्रक्रिया है. इसे लेकर साइंटिस्ट्स में मतभेद भी हैं. लेकिन हाल ही में चूहों की कोशिकाओं पर साउंड वाइब्रेशन का प्रहार किया गया था. जिसकी वजह से उसके कई जीन्स कमजोर हो गए थे. ये जीन्स हड्डियां बनाने वाले और घावों को भरने वाले थे. (फोटोःगेटी)
क्योटो यूनिवर्सिटी जापान के रिसर्चर मासाहिरो कुमेता कहते हैं कि साउंड वाइब्रेशन से जीन में बदलाव करना वैश्विक स्तर पर मान्यता प्राप्त नहीं है. लेकिन बायोस्टीम्यूलेशन सोर्स के जरिए कोशिकाओं पर असर पड़ता है. अगर साउंड वाइब्रेशन में बायोस्टीम्यूलेशन की क्षमता है तो ये जीन में बदलाव कर सकते हैं. (फोटोःगेटी)