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जंगलों की आग से खतरे में धरती की 4400 से ज्यादा प्रजातियां

Forest Fire threatens 4400 Species on Earth
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दुनियाभर के जंगलों में बेतरतरीब तरीके से लग रही आग से सिर्फ इंसानों को ही दिक्कत नहीं होती. बल्कि, पृथ्वी पर मौजूद 4,400 प्रजातियों से ज्यादा जीव-जंतुओं को खतरा है. आपको ऑस्ट्रेलिया की आग तो याद ही होगी, जिसमें करोड़ों जीवों की मौत हो गई थी. उसके बाद इंडोनेशिया, दक्षिण अमेरिका और आर्कटिक के टुंड्रा क्षेत्र की आग. जंगलों की ये आग हमेशा गर्मी से या अपने आप नहीं लगती. इसके लिए हम इंसान भी जिम्मेदार हैं. ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न में हुई एक स्टडी में यह खुलासा हुआ है. (फोटोः रॉयटर्स)

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इस स्टडी को करने वाले ल्यूक केली यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न में रिसर्चर हैं. उन्होंने अपनी स्टडी में बताया है कि जिन प्रजातियों के जीव-जंतु जंगलों की आग की वजह से मारे गए हैं, उनमें 19 फीसदी पक्षी हैं. 16 फीसदी स्तनधारी जीव है. 17 प्रतिशत ड्रैगनफ्लाई और 19 फीसदी लेगूम्स हैं. लेगूम्स नामक जीव अत्यधिक दुर्लभ और विलुप्तप्राय की श्रेणी में है. (फोटोः रॉयटर्स)

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ल्यूक केली की यह स्टडी साइंस जर्नल नेचर में प्रकाशित हुई है. इसमें ल्यूक ने बताया है कि कैसे दुनियाभर के अलग-अलग देशों में लग रही जंगल की आग से धरती पर मौजूद विभिन्न जीव-जंतुओं की 4400 से ज्यादा प्रजातियां खतरे में हैं. इसमें इंडोनेशिया के ओरंगुटान और ऑस्ट्रेलिया के पक्षियों की प्रजातियां प्रभावित हुई हैं. (फोटोः रॉयटर्स)

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Forest Fire threatens 4400 Species on Earth
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सिर्फ पक्षी, स्तनधारी ही नहीं बल्कि पेड़-पौधों की प्रजातियां भी विलुप्त होने की कगार पर आ गई हैं. उन्हें भी खतरा है. ल्यूक केली ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण यूरोप और पश्चिमी अमेरिका में आग लगने की फ्रिक्वेंसी में पिछले कुछ सालों में बढ़ोतरी हुई है. इसकी वजह से वायुमंडल तो खराब होता ही है. करोड़ों रुपयों का नुकसान भी होता है. (फोटोः रॉयटर्स)

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ल्यूक ने बताया कि जंगलों में बेतरतीब तरीके से लग रही आग की उत्पत्ति, उसके फैलाव और रोकथाम के लिए पूरी दुनिया को एकसाथ आकर समाधान निकालना होगा. क्योंकि इसकी तीन सबसे बड़ी वजह है- ग्लोबल क्लाइमेट चेंज, जमीन का उपयोग और इंसानों का जंगलों में घुसपैठ. अगर इन तीनों कारणों को सीमित करें या रोकें तो आग लगने का खतरा कम हो सकता है. (फोटोः रॉयटर्स)

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ल्यूक केली ने अपनी स्टडी के जरिए दुनियाभर के नेताओं और लोगों से अपील की है कि किसी भी तरह से जंगलों की आग को रोकने का प्रयास तेजी से करना पड़ेगा. नहीं तो इसी तरह आग लगती रहेगी तो धरती से कई खूबसूरत और उपयोगी प्रजातियां नष्ट हो जाएंगी. (फोटोः रॉयटर्स)

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ल्यूक कहते हैं कि अब समय आ गया है कि इस तरह की आग को रोकने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर के प्रयास किए जाएं. बड़े पैमाने पर हैबिटैट रेस्टोरेशन का काम हो. ऐसे स्तनधारी जीवों को बचाया जाए जो जंगल की उपजों का कम उपयोग करते हैं लेकिन जरूरी हैं. ग्रीन बेल्ट बनाए जाएं, जहां आग लगने की संभावना कम हो. (फोटोः रॉयटर्स)

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ऑस्ट्रेलिया की ला ट्रोबे यूनिर्सिटी के शोधकर्ता माइकल क्लार्क ने बताया कि ल्यूक की इस स्टडी से मिलती जुलती रिपोर्ट पिछली गर्मी में रॉयल कमीशन ने भी दी थी. रॉयल कमीशन की रिपोर्ट में इसी तरह के परिणाम और समाधान का जिक्र था. पूरी दुनिया को अब जंगलों की आग की तरफ ध्यान देना होगा, वह भी एकसाथ. (फोटोः गेटी)

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