चीन पिछले साल जब पूरी दुनिया में कोरोनावायरस महामारी से परेशान था, उस समय उसने कई अंतरिक्ष मिशन को अंजाम दिया. कई सैटेलाइट्स अंतरिक्ष में भेजे. इन सबसे अलग चीन अपना स्थायी स्पेस स्टेशन बनाने में लगा हुआ है. इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (International Space Station - ISS) की तरह ही चीन का अपना स्पेस स्टेशन अंतरिक्ष में होगा. इसे बनाने की प्रक्रिया इसी साल शुरू होगी. अगले साल के अंत तक इसे बनाकर पूरा कर दिया जाएगा. (फोटोःगेटी)
चाइना नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेनशन (CNSA) के मुताबिक इस साल 4 क्रू मिशन किए जाएंगे. इसके लिए अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रेनिंग शुरू कर दी गई है. इन चार क्रू मिशन के दौरान चीन के एस्ट्रोनॉट्स अंतरिक्ष में जाकर स्पेस स्टेशन बनाने की प्रक्रिया शुरू कर देंगे. (फोटोःगेटी)
चीन नेशनल स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन एंड फॉरेन आब्जर्वर के अनुसार स्टेशन के कोर मॉड्यूल, तियान्हे (Tianhe) को अगले महीने तक लॉन्च करने की संभावना जताई जा रही है. Long March-5B-Y2 रॉकेट और इसके पेलोड को पिछले महीने हैनान प्रांत के वेनचांग स्पेसक्राफ्ट लॉन्च साइट पर टेस्टिंग और असेंबली के लिए ले जाया गया. (फोटोःगेटी)
2022 में स्टेशन का कंस्ट्रक्शन पूरा होने के बाद 11 अंतरिक्ष मिशन लॉन्च किए जाएंगे. इनमें से ये पहला होगा. इसकी तैयारी भी शुरू हो चुकी है. बाद में दो और मॉड्यूल लॉन्च किए जाएंगे. जिसमें चार तियानझोउ (Tianzhou) कार्गो सप्लाई होगी. इससे स्पेस स्टेशन के हिस्से अंतरिक्ष में भेजे जाएंगे. इसके बाद चार शेनझोउ (Shenzhou) क्रू मिशन होंगे. (फोटोःगेटी)
Chinese astronauts training for #spacestation crewed flights https://t.co/pNWgX9qnm5
— Phys.org (@physorg_com) March 4, 2021
CNSA ने क्रू मिशन के लिए 12 अंतरिक्ष यात्रियों के ट्रेनिंग की लिस्ट बनाई है, जिसमें शेनझोउ फ्लाइट्स में वेटेरन, न्यू कमर्स और महिलाएं शामिल होंगी. एक समय पर तीन क्रू मेंबर कोर मॉड्यूल में रहेंगे. जिसे बाद में लॉन्च किए गए साइंटिफिक मॉड्यूल में डॉकिंग पोर्ट्स के अटैचमेंट के लिए रखा जाएगा. (फोटोःएपी)
चीन पहले ही दो प्रयोगात्मक स्पेस स्टेशन लॉन्च कर चुका है, ताकि डॉकिंग और अंतरिक्ष में लाइफ सपोर्ट की जांच की जा सके. एक बार स्थायी स्पेस स्टेशन का काम पूरा हो जाएगा तो अंतरिक्ष यात्री यहां 6 महीने तक रुक सकेंगे. जैसे अभी तक एस्ट्रोनॉट्स इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (ISS) में रुकते थे. (फोटोःएपी)
चीनी स्पेस स्टेशन को 15 सालों तक प्रयोग किया जाएगा. ऐसी आशंका जताई जा रही है कि ये ISS की जगह लेगा. ऐसा इसलिए माना जा रहा है क्योंकि ISS के काम करने की उम्र खत्म होने के कगार पर है. ISS को अमेरिका, रूस, जापान, यूरोप, कनाडा और कई देशों ने मिलकर बनाया है. लेकिन चीन इसमें शामिल नहीं है. अमेरिका अपनी सीक्रेट टेक्नोलॉजी को साझा नहीं करना चाहता, इसलिए उसने चीन को इस प्रोजेक्ट में शामिल नहीं किया है. अमेरिका को डर है कि कहीं चीन इसका उपयोग खुफिया मिलिट्री प्रोग्राम के लिए न कर ले. (फोटोः एपी)
2003 में पहली बार अंतरिक्ष यात्री भेजने के बाद चीन ने अब इस दिशा में तेजी से काम किया है. 2019 में चीन ने चांद की सतह पर एक रोवर को लैंड कराया था. वहीं, तियानवेन 1 नाम का एक क्राफ्ट आने वाले महीनों में मंगल के पार्किंग ऑर्बिट में पहुंच जाएगा. अगर इसकी लैंडिंग सफल रही तो यूएस के बाद चीन मंगल पर पहुंचने वाला दूसरा देश बन जाएगा. (फोटोःगेटी)