चीन में कोरोना वायरस के बीच एक नई बीमारी फैल रही है. इस बीमारी से 1000 सुअर संक्रमित हैं. इस बीमारी को स्वाइन फीवर बताया जा रहा है. ये अफ्रीकन स्वाइन फीवर का नया रूप है, जो चीन में देखने को मिल रहा है. यानी अफ्रीकन स्वाइन फीवर के एक नए स्ट्रेन ने चीन के सुअरों को संक्रमित किया है. चीन दुनिया में सुअर मांस का सबसे बड़ा विक्रेता है. हेल्थ और मार्केट एक्सपर्ट इस बीमारी के आने से चीन के लिए बड़े नुकसान की आशंका जता रहे हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
चीन की चौथी सबसे बड़ी पोर्क (सुअर मांस) विक्रेता कंपनी न्यू होप लिउही ने कहा कि उसके 1000 सुअरों में अफ्रीकन स्वाइन फीवर के दो नए स्ट्रेन मिले हैं. कंपनी की चीफ साइंस ऑफिसर यान झिचुन ने कहा कि इस फीवर के संक्रमण की वजह से सुअर बेतरतीब तरीके से मोटे हो रहे हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
समाचार एजेंसी रॉयटर्स को यान झिचुन ने बताया कि इन दोनों स्ट्रेन्स की वजह से अफ्रीकन स्वाइन फीवर से संक्रमित सुअर मर नहीं रहे हैं. ये उस तरह का फीवर नहीं है जो साल 2018 और 2019 चीन में फैला था. लेकिन इसकी वजह से एक खास तरह की क्रोनिक कंडिशन पैदा हो रही है जिसकी वजह से जो सुअर के बच्चे पैदा हो रहे हैं वो कमजोर हो रहे हैं. ऐसा माना जा रहा है कि ये बिना लाइसेंस वाली वैक्सीन सुअरों को लगाने की वजह से हुआ है. (फोटोः रॉयटर्स)
New China swine fever strains point to unlicensed vaccines https://t.co/DhzfoDTUmt pic.twitter.com/RBrjz1O6lb
— Reuters (@Reuters) January 22, 2021
न्यू होप की तरह कई पोर्क उत्पादक कंपनियों ने इस बीमारी से ग्रसित कुछ सुअरों को हाल ही में मारा है ताकि ये फीवर बाकी सुअरों को संक्रमित न कर सके. हालांकि, अभी ये संक्रमण सीमित है लेकिन इसका नए स्ट्रेन के तेजी से फैलने की खबरें आ रही हैं. इससे फीवर से पोर्क उत्पादक इसलिए भी डरे हुए हैं क्योंकि दो साल पहले 40 करोड़ सुअरों में से करीब आधे को खत्म कर दिया था. (फोटोः रॉयटर्स)
यान ने बताया कि कोरोना काल में चीन में खाने-पीने की सुरक्षा को लेकर नियम काफी सख्त कर दिए गए हैं. इसलिए सुअरों की सेहत पर भी ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है. वैसे भी इस समय चीन में पोर्क की कीमत आसमान छू रही हैं. यान कहते हैं कि उन्हें नहीं पता कि ये फीवर कैसे चीन के सुअरों को संक्रमित कर रहा है लेकिन फिलहाल ये चिंताजनक स्थिति है. (फोटोः रॉयटर्स)
बीजिंग के जीव विज्ञानी वाएन जॉनसन कहते हैं कि उन्होंने पिछले साल सुअरों में क्रोनिक लेकिन कम जानलेवा बीमारी की देखी थी. इसके वायरस में कुछ जेनेटिक कंपोनेंट्स कम थे. इसे MGF360 कहा जाता है. न्यू होप के सुअरों में जो स्ट्रेन मिला है उसमें MGF360 और CD2v जीन गायब हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
कुछ रिसर्च में ये बात सामने आई थी कि अफ्रीकन स्वाइन फीवर के वायरस से MGF360 जीन हटा देने से वैक्सीन के खिलाफ इम्यूनिटी आ जाती है. ये जीन कैसे हटे ये किसी रिसर्चर को नहीं पता है. इसकी वैक्सीन इसलिए नहीं बनाई गई क्योंकि जीन हटने से ये आगे चलकर ज्यादा संक्रामक और जानलेवा हो सकता था. (फोटोः रॉयटर्स)
नैरोबी के इंटरनेशनल लाइवस्टॉक रिसर्च इंस्टीट्यूट (ILRI) की प्रिंसिपल साइंटिस्ट लूसिला स्टेना कहती हैं कि इस बीमारी के वायरस की जीनोम सिक्वेंसिंग करके उसमें ये MGF360 जीन को सक्रिय कर भी देते हैं तो भी इससे कोई फायदा नहीं होगा. क्योंकि ये जीन खुद हट जा रहा है. ये पता नहीं चल पा रहा है कि ये म्यूटेशन किस तरह से हो रहा है. (फोटोः रॉयटर्स)