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चीनः ये हैं 'जलपरियों के वंशज', इनके कपड़े बनते हैं मछलियों की खाल से

चीनः ये हैं 'जलपरियों के वंशज', इनके कपड़े बनते हैं मछलियों की खाल से
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चीन में एक प्रांत के छोटे से गांव में रहने वाला एक समुदाय मछलियों की खाल (Fish Skin) से कपड़े बनाते हैं. अब इस समुदाय के इक्का-दुक्का लोग ही बचे हैं जिन्हें मछलियों की खाल से कपड़ा बनाना आता है. ये हैं 68 वर्षीय यू वेनफेंग. चीन के हीलोंगजियांग प्रांत के तोंगजियांग शहर के हेझेन गांव में रहती हैं. यू वेनफेंग हेझेन समुदाय से हैं जिसके बेहद कम लोग चीन में बचे हैं. इनके समुदाय के कुछ लोगों को ही मछली की खाल से कपड़ा बनाना आता है. (फोटोः रॉयटर्स)
चीनः ये हैं 'जलपरियों के वंशज', इनके कपड़े बनते हैं मछलियों की खाल से
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यू वेनफेंग बताती है कि हमारे समुदाय के बहुत से लोग 1930 और 1940 के दशक में जापान चले गए. वहां मंचूरिया बनकर काम करने लगे. हेझेन समुदाय के बहुत सारे लोग मारे गए लेकिन मेरी यहां चीन में बच गई. उसी ने मुझे मछली की खाल से कपड़ा बनाना सिखाया था. (फोटोः रॉयटर्स)
चीनः ये हैं 'जलपरियों के वंशज', इनके कपड़े बनते हैं मछलियों की खाल से
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हेझेन समुदाय के लोगों को चीन में अमूर कहा जाता है. जबकि, रूस के साइबेरिया में ब्लैक ड्रैगन नदी के पास रहने वाले इसी समुदाय के लोगों को तुंगुसिक समुदाय से जोड़ा जाता है. (फोटोः रॉयटर्स)
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चीन में हेझेन समुदाय ने विश्वयुद्ध 2 के बाद से अपनी आबादी बढ़ाई. विश्व युद्ध-2 के समय ये सिर्फ 300 लोग थे. जो अब करीब 5000 हो गए हैं. अब भी ये लोग कार्प, पाइक और सालमन मछलियों की खाल से कपड़ा बनाते हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
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यू वेनफेंग बताती है कि वर्तमान पीढ़ी में से कुछ लोग इस कला को सीखना चाहते हैं. मछलियों की खाल से बने कपड़े अब हेझेन समुदाय के लोग रोजाना नहीं पहनते. कभी-कभार निकालते हैं. लेकिन पहले ऐसा नहीं था. (फोटोः रॉयटर्स)
चीनः ये हैं 'जलपरियों के वंशज', इनके कपड़े बनते हैं मछलियों की खाल से
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तोंगजियांग में रहने वाले हेझेन समुदाय के लोगों का गांव चीन के उत्तर-पूर्व में रूस की सीमा से लगा हुआ है. यू वेनफेंग यहीं लोगों को मछली की स्किन से कपड़ा बनाना सीखाती हैं. साथ ही वो हेझेन समुदाय की कहानी सुनाने की अनूठी परंपरा को भी जीवित रख रही है. इसमें कहानियों को गीतों के साथ पेश किया जाता है.  (फोटोः रॉयटर्स)
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मछली की खाल से कपड़ा बनाने के लिए जमी हुई नदी में से मछलियां पकड़नी होती हैं. यू वेनफेंग का अपना एक बुटीक भी है, जहां पर वो अपने स्टूडेंट्स को मछली की खाल से कपड़ा बनाना सिखाती हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
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हेझेन समुदाय के लोग जमी हुई नदियों से मछलियां पकड़ने में एक्सपर्ट होते हैं. इन्हें मरमेड यानी जलपरियों के खानदान से जोड़ा जाता है. यू वेनफेंग बताती है कि जब जंगलों तक पानी पहुंचता है तब नदियों में बहुत मछलियां होती हैं. आप भाला फेंको आपको मछली मिल जाएगी. (फोटोः रॉयटर्स)
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वेनफेंग कहती हैं कि पहले अपने हिसाब से मछलियां पकड़ते थे. अब बाजार से मंगवा लेते हैं. पहले कढ़ाई-सिलाई के लिए टाइगर बोन और डीयर टेंडन का उपयोग होता था. अब तो बाजार से कढ़ाई वाली सुई और सूत के धागे आ जाते हैं. महिलाओं के लिए एक टॉप और ट्राउजर बनाने में 50 और पुरुषों के लिए 56 मछलियों की खाल चाहिए होती है. (फोटोः रॉयटर्स)
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बाजार से मछलियां लाने के बाद उनकी खाल निकाली जाती है. उन्हें सुखाया जाता है. फिर इन खालों को लकड़ी के प्रेस से आयरन किया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया में करीब एक महीना तो लग जाता है. इसके बाद सिलाई करने में 20 दिन और लगते हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
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यू वेनफेंग ने चाहती हैं कि उनके कपड़ों की ब्रांडिंग हो जैसी कि मछली, सांप और मगरमच्छ के खाल से बने कपड़ों और एसेसेरीज का होता है. इससे उनके समुदाय के लोगों को काम और पैसा दोनों मिलेगा. (फोटोः रॉयटर्स)
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