लद्दाख की पैंगोंग लेक में चीनी सैनिकों ने 29 और 30 अगस्त की रात घुसपैठ करने की कोशिश की, जिसे भारतीय जवानों ने विफल कर दिया. इसके बाद चीन की सेना ने सीमा के पास लद्दाख के ऊपर अपने चेंगदू जे-20 फाइटर जेट उड़ाए. जिसे टक्कर देने के लिए भारतीय वायुसेना का राफेल, सुखोई-30एमकेआई और तेजस विमान तैयार हैं.
राफेल के आगे चीन के J-20 का इंजन निम्न स्तर का है. लड़ाई के मामले में भी राफेल चेंगदू J-20 से बेहतरीन है. राफेल में हायर वेपन लोड, बैटर हार्डंड और लीथल मिसाइल पावर है. आइए जानते हैं कि राफेल (Rafale) चीन के लड़ाकू विमान चेंगदू जे-20 (Chengdu J-20) से किन मामलों में अच्छी है.
सबसे पहले आता है राफेल और चेंगदू का इंजन. राफेल में दो Snecma M88 इंजन है. जो 50 किलोन्यूटन थ्रस्ट पैदा करते हैं. चेंगदू जे-20 में शेनयांग WS-10बी इंजन लगा है. जो 145 किलोन्यूटन थ्रस्ट पैदा करते हैं. लेकिन राफेल के इंजन का थ्रस्ट उसे मैन्यूवरिंग करने में आसानी होती है. क्योंकि इंजन के पावर को नियंत्रण करना सहज होता है.
राफेल सुपीरियर कॉम्बैट में चेंगदू J-20 से बेहतरीन है. क्योंकि राफेल का आकर उसे आसमान में क्लोज कॉम्बैट में मदद करता है. जबकि, चेंगदू J-20 का शेप और साइज इसे क्लोज कॉम्बैट में थोड़ा मुश्किल पैदा करता है.
राफेल में स्कैल्प ईजी स्टॉर्म शैडो (Scalp EG Storm Shadow), एएएसएम (AASM), एटी 730 ट्रिपल इजेक्टर रैक (AT 370 Tripple Ejector Rack), डैमोक्लेस पॉड (Damocles Pod), हैमर मिसाइल लगा सकते हैं. जबकि, चेंगदू J-20 एएएम (AAM), शॉर्ट रेंज एएएम, इंटर्नल ऑटोकैनन और रोटरी कैनन मशीन गन लगी है.
राफेल 4.5 जेनरेशन का ट्विन इंजन, कना़डा डेल्टा विंग, मल्टी रोल फाइटर है. जबकि, J-20 सिंगल सीट, ट्विन जेट, हर मौसम में उड़ने वाला, स्टेल्थ, पांचवीं जेनरेशन का फाइटर जेट हैं. राफेल की सर्विस सीलिंग 15,235 मीटर है जबकि, चेंगदू J-20 की 20 हजार मीटर है. राफेल की अधिकतम गति 2130 किलोमीटर प्रति घंटा है, जबकि चेंगदू J-20 जेट 2223 किलोमीटर प्रतिघंटा है.
राफेल आकार में चेंगदू J-20 से आकार में छोटा है. चेंगदू J-20 की लंबाई 20.4 मीटर है. जबकि, राफेल की 15.27 मीटर है. चेंगदू J-20 की चौड़ाई 13.5 मीटर और राफेल की 10.80 मीटर है. चेंगदू J-20 की ऊंचाई 4.45 मीटर है जबकि, राफेल 5.34 मीटर है. चेंगदू J-20 का वजन 19.4 टन है. राफेल की 10.3 टन है. हथियारों के साथ चेंगदू J-20 का वजन 36 टन और राफेल का वजन 24.5 टन है.
राफेल का राडार और एवियोनिक्स सिस्टम अत्याधुनिक है. चीन के राडार सिस्टम की कोई जानकारी चीन ने आजतक जारी नहीं की है. राफेल में एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) लगा है. इसके अलावा राफेल पर इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट स्पेक्ट्रा लगा है. जो किसी भी तरह के दुश्मन को खोज सकता है, हथियार चला सकता है, संचार जैम कर सकता है.