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कोरोना पर फंसा चीन तो लगा दिए US पर आरोप, कहा- इस अमेरिकी लैब की हो जांच

प्रतीकात्मक तस्वीर
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पिछले कुछ दिनों में कोरोना वायरस पर चीन के रवैये को लेकर कई नई चीजें सामने आई हैं. आईटीवी की डॉक्यूमेंट्री में वुहान के कुछ डॉक्टर्स ने स्टिंग ऑपरेशन में कहा था कि वे जानते थे कि ये वायरस कितना खतरनाक है लेकिन प्रशासन ने उन्हें चुप रहने के लिए कहा था. इसके अलावा WHO की एक टीम भी वुहान जाकर कोरोना को लेकर जांच में जुटी है. ऐसे में दबाव के बीच अब चीनी सरकार एक बार फिर अमेरिका पर कोरोना वायरस को लेकर आरोप लगा रही है. 

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चीन ने इस बार अमेरिका की एक मिलिट्री लैब को लेकर निशाना साधा है. चीन की विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता ने हाल ही में अमेरिका को कहा है कि वे अपनी फोर्ट डेट्रिक बायोलैब को कोरोना की जांच के लिए खोलें. यही नहीं चीन की सोशल मीडिया वेबसाइट Weibo पर बुधवार को टॉप ट्रेंड भी अमेरिका की फोर्ट डेट्रिक लैबोरेट्री थी.  

 

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चीन की कम्युनिस्ट यूथ लीग ने एक पोस्ट में लिखा- कोरोना वायरस महामारी ने अमेरिका में अप्रैल 2020 में दस्तक दी थी और न्यूयॉर्क इस महामारी का केंद्र बन गया था. वहीं 240 मील दूर फोर्ट डेट्रिक लैब में अमेरिका की सरकार कई खतरनाक पैथोजन्स यानी रोगाणुओं के साथ प्रयोग कर रही थी. इस पोस्ट को 15 लाख से अधिक लोगों ने लाइक किया है. 

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बता दें कि अमेरिका और चीन कोरोना वायरस को लेकर काफी समय से एक-दूसरे पर इल्जाम लगा रहे हैं. दोनों देशों की सरकारों ने ऐसे सवाल उठाए हैं कि ये वायरस लैब में तैयार हुए हैं. वहीं चीन के प्रोपेगैंडा पर काम कर चुके ताइवान के एक प्रोफेसर का कहना था कि एक ऐसे समय में, जब हर किसी का ध्यान वुहान पर लगा है, चीन की सरकार ध्यान भटकाने की कोशिश कर रही है और एक बार फिर अमेरिकी सरकार पर आरोप लगा रही है. 

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विशेषज्ञों का कहना है कि चीन की ये प्रतिक्रिया कहीं ना कहीं वहां के लोगों को भी भटकाने का काम कर रही है जिससे कि ये लोग अपने प्रशासन से सवाल ना पूछ पाएं. गौरतलब है कि चीन ने इस वायरस का खतरा अपने देश में पनपने नहीं दिया था और काफी जल्दी इस वायरस को कंटेन कर लिया था. लेकिन पिछले एक हफ्ते में चीजें एक बार फिर गंभीर हुई हैं. पिछले एक हफ्ते से अधिक समय से चीन में रोज 100 से अधिक कोरोना केस सामने आ रहे हैं. मार्च 2020 के बाद पहली बार चीन इतनी बड़ी संख्या में कोरोना के नए मामलों की जानकारी दे रहा है. हालात की गंभीरता को उस फैसले से समझा जा सकता है जिसके तहत चीन ने कुल 16 लाख लोगों को लॉकडाउन में डाल दिया है. 

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