चीन पिछले 9-10 महीनों से लगातार किसी न किसी तरीके से परेशान कर रहा है. लद्दाख में सीमा विवाद में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बुरी तरह से मात खाने के बाद अब चीन नए तरीके खोज रहा है जिससे भारत की जनता और सरकार परेशान हों. चीन लगातार भारतीय सीमा के पास सड़क, रेल और हवाई कनेक्टिविटी बढ़ा रहा है. अब चीन एक नई चाल चलने जा रहा है, जिससे फिर तनाव बढ़ने की आशंका है.
चीन ब्रह्मपुत्र नदी पर एक नया बांध बनाने जा रहा है. इस बांध के निर्माण से अरुणाचल प्रदेश समेत आसपास के राज्यों में दिक्कत आ जाएगी. क्योंकि ये बांध भारतीय सीमा के बेहद नजदीक बनाया जाएगा. जिस इलाके में यह बांध बनाया जाएगा वह ब्रह्मपुत्र नदी का निचला इलाका है. यानी यहां पर पानी का बहाव काफी तेज रहता है. ये भी कहा जा रहा है कि यह बांध चीन के सबसे बड़े थ्री-जॉर्ज डैम के बराबर होगा यानी इसकी ऊंचाई करीब 181 मीटर और लंबाई करीब 2.33 किलोमीटर के आसपास होगी.
चीन ने सिर्फ इस बात की घोषणा की है कि यह बांध बनाया जाएगा. लेकिन इसके बजट को लेकर चीन ने अभी तक कोई खुलासा नहीं किया है. बीसीफोकस डॉट कॉम की खबर के अनुसार अरुणाचल प्रदेश की सीमाओं को लेकर भी चीन भारत के साथ विवाद करता आया है. इसलिए वह इस राज्य को भारतीय मानता भी नहीं है. विशेषज्ञों की माने तो ऐसे में चीन इस बांध का उपयोग रणनीतिक तौर पर भी कर सकती है.
चीन की सरकार ब्रह्मपुत्र नदी जिसे वहां यारलंग सांगपो कहते हैं, उसपर 11 हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट बना चुका है. इन बांधों और प्रोजेक्ट्स की वजह से नदी के बहाव में असामान्य बदलाव आए हैं. चीन जब मन करता है इन बांधों के दरवाजे खोल देता है, जब मन करता है उसे बंद कर देता है. बारिश के दिनों में इसका सबसे ज्यादा खामियाजा भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को उठाना पड़ता है. अरुणाचल प्रदेश, असम समेत कई राज्य बाढ़ग्रस्त हो जाते हैं.
आपको बता दें कि यारलंग सांगपो यानी ब्रह्मपुत्र नदीं चीन से निकलती है, यह तिब्बत से होते हुए अरुणाचल प्रदेश के रास्ते भारत में आती है. इसके बाद यह नदी असम होते हुए बांग्लादेश की तरफ चली जाती है. चीन के ज्यादातर हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट तिब्बत के इलाके में ही आते हैं. चीन इस नदी के बहाव का नियंत्रण करके भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों को परेशान ही नहीं करता बल्कि अपने सूखे इलाकों की सिंचाई भी इसी से करता है.
चीन के हिस्से में आने वाली ब्रह्मपुत्र नदीं पर चल रही 11 बिजली प्रोजेक्टस में सबसे बड़ा प्रोजेक्ट जांगमू है. यह साल 2015 में शुरू हुई थी. सिर्फ इतना ही नहीं, तिब्बत के करीब 7 शहरों में चीन हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट बना चुका है या बनाने वाला है. ये सात शहर हैं- बायू, जिशि, लांग्टा, दाप्का, नांग, डेमो, नाम्चा और मेतोक. चीन पिछले दस सालों से लगातार ब्रह्मपुत्र नदी पर पावर प्रोजेक्ट्स और बांध बना रहा है.