लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सेना से हिंसक झड़प होने के बाद केंद्र सरकार ने ग्राउंड जीरो पर सेना को हालात के मुताबिक कोई भी कार्रवाई करने की खुली छूट दे दी है. सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के घर पर हुई बैठक में तीनों सेनाओं से कह दिया गया है कि चीन के साथ सख्ती से निपटा जाए और उसे मंहतोड़ जवाब दिया जाए. इसी बीच लद्दाख में सीमा के आसपास चीनी फाइटरजेट की गतिविधि में तेजी आ गई है.
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सूत्रों के मुताबिक पूर्वी लद्दाख में चीन को सबक सिखाने की खुली छूट भारतीय सेना को मिल गई है. सूत्रों की मानें तो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के साथ सीडीएस बिपिन रावत और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ हुई बैठक में चीन को ईंट का जवाब पत्थर से देने की रणनीति बन चुकी है.
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रक्षा मंत्री के साथ जो बैठक हुई उसमें सीडीएस जनरल बिपिन रावत, आर्मी चीफ जनरल एमएम नरवणे, नेवी चीफ एडमिरल करमबीर सिंह और एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया शामिल हुए थे.
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सोमवार की झड़प में 20 जवानों की शहादत के बाद ये बैठक उस समय हुई जब ये सवाल बना हुआ है कि नियंत्रण रेखा पर चीन की हिमाकत का सरकार अब किस तरह जवाब देने वाली है? क्या चीन को वहां तक पीछे धकेलने के लिए सेना बड़ी कार्रवाई करने वाली है जहां वो 5 मई से पहले खड़ी थी?
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सरकार के सूत्रों की मानें तो दो बातें सेना को लेकर साफ कर दी गई हैं. एक तो ये कि उसे चीन के साथ लगने वाली 3500 किलोमीटर लंबी सरहद पर निपटने की खुली छूट दी गई है और दूसरा ये कि चीन के किसी भी आक्रामक रवैये का सेना मुंहतोड़ जवाब देगी.
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सूत्रों के मुताबिक रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने तीनों सेनाओं के आला अधिकारियों से कहा है कि वो ज़मीन, आसमान और समंदर में चीन के साथ लगने वाली सीमा पर कड़ी निगरानी रखें.
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चीनी सेना कोई हिमाकत करे तो उसके साथ सख्ती से निपटा जाए. यही नहीं जैसा पीएम मोदी ने ऐलान किया है और उसे इस बैठक में दोहराया गया कि ग्राउंड जीरो के हालात के मुताबिक सेना फैसला लेने के लिए स्वतंत्र है.
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पूर्वी लद्दाख में भारत-चीन की सेना डेढ़ महीने से आमने सामने है. 15 जून को चीन ने जो हरकत की उसे युद्ध की कार्रवाई की तरह देखा जा रहा है. वैसे भी 58 साल बाद इस गलवान घाटी में दोनों तरफ के सैनिकों को जानमाल का नुकसान हुआ है.
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ऐसे में भारतीय सेना और वायुसेना ने इस इलाके में अपनी तैयारियां बढ़ा दी हैं. वायुसेना के लड़ाकू विमान कॉमबैट पेट्रोलिंग कर रहे हैं. वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने बुधवार को लेह एयरबेस का दौरा किया था. वायुसेना इस वक्त लेह-लद्दाख इलाके में अलर्ट पर है. चीन के लड़ाकू विमानों की बढ़ी हरकत को देखते हुए वायुसेना प्रमुख ने आश्वस्त किया कि भारतीय वायुसेना चीन की किसी भी हिमाकत का जवाब देने के लिए तैयार है.
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चीन ने मई में जिस धोखेबाजी से युद्धाभ्यास के बहाने पूर्वी लद्दाख में सैनिकों का जमावड़ा किया और फिर गलवान में घुसपैठ कर हालात को बदलने की कोशिश की उसके बाद उस पर भरोसे की गुंजाइश नहीं बची है. अब चीन के लड़ाकू विमानों ने हरकत तेज कर दी है. लेकिन रक्षा विशेषज्ञों की मानें तो भारतीय सेना और वायुसेना इस हालात से निपटने के लिए पूरा दमखम रखती है.
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1993 से यानी 27 साल से भारत-चीन के बीच सीमा विवाद पर समझौते हो रहे हैं. अब तक कुल 5 समझौते हो चुके हैं लेकिन चीन की ताजा हरकत इन सारे समझौतों का खुला उल्लंघन है. वैसे भी चीन समझौते का पालन केवल दूसरे पक्ष से करने की उम्मीद करता है.