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अंतरिक्ष से आया मेहमान, 24 दिन तक धरती के चारों तरफ मनाएगा दिवाली

Comet Temple Tuttle Leonid meteor shower
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आज की रात मुंबई वालों के लिए दिवाली की रात होगी. आसमान में होगी आतिशबाजी. इस आतिशबाजी से न तो कोई प्रदूषण होगा, न ही कोई आवाज. बस आसमान में दिखाई देगी खूबसूरत रोशनी की बारिश. ऐसा नहीं है कि ये रोशनी की बारिश सिर्फ मुंबई वाले ही देखेंगे. इसे दुनिया के कुछ और देश देख चुके हैं. आइए जानते हैं कि आखिर ऐसा हुआ क्यों?

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मुंबई के लोगों को 19 नवंबर की रात यानी आज लियोनिड मिटियोर शॉवर (Leonid Meteor Shower) यानी उल्कापिंडों की बारिश का नजारा देखने को मिलेगा. अगर आप कम आबादी और कम प्रदूषण वाले इलाके में रहते हैं तो आपको ये नजारा आपकी छत या बालकनी से भी देखने को मिल जाएगा. 

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इस समय चांद नया है, जब आसमान में चांद दिखना बंद हो जाता है, हल्का धुंधलका रहता है उस समय इन उल्कापिंडों की बारिश बेहद खूबसूरत दिखाई देती है. वैसे तो साल 2020 पूरी दुनिया के लिए मुसीबत लेकर आया है लेकिन अंतरिक्ष की दुनिया से हमेशा ही शानदार खबरें आई हैं. नजारे देखने को मिलेंगे. 

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आखिर सवाल ये है कि इन उल्कापिंडों की बारिश के पीछे क्या कारण है. आपको बता दें कि 6 नवंबर से लेकर 30 नवंबर तक एक कॉमेट यानी धूमकेतु धरती के बगल से गुजर रहा है. इस धूमकेतु का नाम है 55P/Temple-Tuttle. ये लियो नक्षत्र से निकला है. इसलिए इसके उल्कापिंडों यानी मिटियोर को लियोनिड कहते हैं. 

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धूमकेतु के पीछे जो पत्थर छूटकर धरती की ओर बढ़ते हैं वो वायुमंडल में आते ही जलने लगते हैं. इसलिए हमें आसमान में आतिशबाजी जैसा नजारा देखने को मिलता है. टेंपल टटल धूमकेतु यानी पुच्छल तारे के पीछे से हर घंटे 15 मिटियोर निकल रहे हैं. इनमें से कुछ मिटियोर धरती की ओर आ जाते हैं. 

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धरती की तरफ आते मिटियोर्स की गति 71 किलोमीटर प्रति सेकेंड हो सकती है. यानी 2.55 लाख किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार. लियोनिड हर साल नवंबर महीने के मध्य में धरती के बगल से गुजरता है. ये दुनिया भर के कई देशों को मिटियोर शॉवर यानी उल्कापिंडों की बारिश का नजारा दिखाते हुए जाता है. 

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पिछले 33 साल से टेंपल टटल धूमकेतु के पीछे से गिरने वाले इन उल्कापिंडों को लोग और वैज्ञानिक देखते आ रहे हैं. अगर आप सही लोकेशन, सही समय और प्रदूषण मुक्त स्थान पर हैं तो आपको एक घंटे में 1000 से ज्यादा मिटियोर शॉवर दिखाई दे सकते हैं. लेकिन इसे लियोनिड स्टॉर्म (Leonid Storm) कहते हैं. 

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धूमकेतु टेंपल टटल का नाम 1865 और 1866 में दुनिया के बड़े खगोलविद अर्नस्ट टेंपल और होरास टटल के नाम पर पड़ा है. इन दोनों ने ही मिलकर इस धूमकेतु को खोजा था. इस धूमकेतु के केंद्र का व्यास करीब 3.6 किलोमीटर चौड़ा है. 

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