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46 देशों के विश्लेषण में खुलासा, कोरोना की दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक

Corona Second Wave is more dangerous
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ये एक सबक है जो पूरी दुनिया ने सीखा है कि किसी भी महामारी की दूसरी लहर ज्यादा खतरनाक होती है. स्पैनिश फ्लू और कोरोना महामारी ने इस बात को पुख्ता कर दिया है. इन दोनों ही महामारियों ने 100 साल के अंतर पर दुनिया के करोड़ों लोगों की जान ली है. 1918 से 1920 तक स्पैनिश फ्लू की वजह से दुनिया भर में करीब 50 करोड़ संक्रमित हुए थे. जबकि, 5 करो़ड़ लोगों की मौत हुई थी. इस महामारी ने अपनी दूसरी लहर में ज्यादा कोहराम मचाया था. (फोटोःगेटी)

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ठीक इसी तरह अब कोरोनावायरस महामारी की दूसरी लहर भी दिखाई दे रही है. द इकोनॉमिस्ट ने दुनियाभर क 46 देशों में कोरोना महामारी की दूसरी लहर का अध्ययन किया. मौतों का विश्लेषण किया. इसके बाद ये बात पुख्ता हो गई कि जिन देशों में कोरोनावायरस की दूसरी लहर आई, वहां ज्यादा कोहराम मचा. 

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इन 46 देशों में मार्च से लेकर मई 2020 तक पहली लहर में 2.20 लाख लोगों की मौत हुई. जबकि, अक्टूबर से दिसंबर के बीच इन्हीं 46 देशों में मरने वालों की संख्या में करीब 4 लाख लोगों का इजाफा हुआ. यानी 6.20 लाख लोगों की मौत कोरोना की दूसरी लहर आने के बाद हुई. (फोटोःगेटी)

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कोरोना वायरस की दूसरी लहर से सबसे ज्यादा यूरोपियन देश प्रभावित हुए. ब्रिटेन, फ्रांस, बेल्जियम, इटली, नीदरलैंड्स, स्पेन और स्वीडन में कोरोना की दूसरी लहर ने ज्यादा तबाही मचाई. इतना ही नहीं अमेरिका में भी अक्टूबर से दिसंबर के बीच आई कोरोना की दूसरी लहर ने लाखों लोगों को मौत के घाट उतार दिया. 

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अमेरिका में मार्च से अक्टूबर के बीच कोरोना के कुल 1 करोड़ मामले सामने आए थे. लेकिन अगले तीन महीने में यानी नवंबर, दिसबंर और जनवरी में ये बढ़कर 2 करोड़ हो गए. फ्रांस, इटली और स्पेन को भी दूसरी लहर में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. (फोटोःगेटी)

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सबसे भयावह बात तो ये है कि ब्रिटेन, अफ्रीका जैसे देशों में कोरोना वायरस का नया और ज्यादा संक्रामक स्ट्रेन यानी वैरिएंट कोरोना महामारी की दूसरी लहर में ही सामने आया है. इस समय ब्रिटेन और अफ्रीका के ये दोनों नए कोरोना वैरिएंट ज्यादा तबाही मचा रहे हैं. इतना ही नहीं ये वैरिएंट तेजी से दुनियाभर में फैल रहे हैं. 

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इजरायल में भी दूसरी लहर ने तबाही का आलम पैदा किया. दुनिया भर में अगर हर महीने का मृत्युदर देखें तो अक्टूबर से दिंसबर के बीच प्रति एक लाख में मरने वालों की संख्या 12 थी. जबकि मार्च से मई के बीच ये एक लाख में 8 थी. (फोटोःगेटी)

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