कोरोना वायरस बीमारी के इलाज का एक नया तरीका पता चला है. बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन की दवा कंपनी Synairgen ने दावा किया है कि सांस के जरिए दी जाने वाली एक दवा के इस्तेमाल से 79 फीसदी कोरोना मरीजों को लाभ हुआ और उन्हें आईसीयू में भर्ती करने की नौबत नहीं आई. कंपनी ने इसे बड़ी सफलता बताया है.
इस दवा का नाम है SNG001. ब्रिटेन में हॉस्पिटल में भर्ती किए गए 101 कोरोना मरीजों पर इसका ट्रायल किया गया. इस दवा में Interferon Beta नाम के प्रोटीन का इस्तेमाल किया जाता है. इंसान का शरीर वायरस से लड़ने के लिए इस प्रोटीन का उत्पादन करता है.
ट्रीटमेंट के दौरान Nebuliser के जरिए मरीज के फेफड़ों में सीधे ये दवा दी गई ताकि शरीर का इम्यून सिस्टम बेहतर हो जाए. ट्रायल के नतीजों से पता चलता है कि यह दवा वायरस को कमजोर कर देती है.
मरीज के हॉस्पिटल में रहने के समय में भी नए ट्रीटमेंट से कमी देखी गई. दवा से मरीजों का हॉस्पिटल में रहने का समय एक तिहाई कम हो गया. 9 दिन की जगह 6 दिन में ही वे ठीक हो गए.
ब्रिटेन के साउथैंपटन की दवा कंपनी Synairgen ने इस दवा को तैयार किया है और साउथैंपटन यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने इस दवा का ट्रायल किया. स्टडी के दौरान देखा गया कि जिन मरीजों की हालत अधिक गंभीर हो सकती थी उनमें से 79 फीसदी मरीजों को आईसीयू में भर्ती नहीं करना पड़ा.
Synairgen का दावा है कि नई दवा के ट्रीटमेंट से मरीजों के सांस लेने की तकलीफ में भी काफी अधिक सुधार हुआ. ब्रिटेन के 9 अस्पतालों में वॉलंटियर करने वाले कुल 101 मरीजों पर इसका ट्रायल किया गया था.
हालांकि, इस ट्रायल के नतीजे अभी किसी जर्नल में प्रकाशित नहीं किए गए हैं और न ही पूरा डाटा प्रकाशित किया गया है. लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि अगर बड़े स्तर के ट्रायल में ऐसे ही नतीजे सामने आते हैं तो यह गेमचेंजर होगा. वहीं, कंपनी ने कहा है कि वह दुनियाभर की स्वास्थ्य संस्थाओं को अगले कुछ दिनों में अपना डेटा देने जा रही है.