कोरोना वायरस से बीमार मरीजों को फायदा पहुंचाने वाली पहली और एकमात्र दवा Remdesivir से जुड़ा डेटा पहली बार प्रकाशित किया गया है. करीब एक महीने के ट्रायल के बाद अमेरिकी सरकार के साथ काम कर रहे वैज्ञानिकों ने दवा से जुड़ी स्टडी प्रकाशित कर दी है. डॉक्टर काफी वक्त से दवा से जुड़े डेटा की मांग कर रहे थे.
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nytimes.com की रिपोर्ट के मुताबिक, वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि Remdesivir दवा गंभीर रूप से बीमार कोरोना मरीजों को लाभ पहुंचाती है. बता दें कि अमेरिका का फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन भी Remdesivir दवा के आपातकालीन स्थिति में इस्तेमाल की इजाजत दे चुका है.
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रॉयटर्स के मुताबिक, अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ का कहना है कि Remdesivir के ट्रायल से पता चला है कि ये दवा उन मरीजों को सबसे अधिक लाभ पहुंचाती है जिन्हें सिर्फ ऑक्सीजन की जरूरत होती है, लेकिन वेंटिलेटर की नहीं.
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इस रिसर्च पेपर के प्रकाशित होने से पहले दुनिया भर के डॉक्टरों या रिसर्चर्स के पास Remdesivir से जुड़ी बेहद सीमित जानकारी थी. इस दवा को Gilead Sciences नाम की कंपनी ने तैयार किया है.
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शुरुआत में Remdesivir दवा को हेपेटाइटिस के लिए तैयार किया गया था. लेकिन हेपेटाइटिस के इलाज में ये दवा कारगर नहीं रही. फिर इसे इबोला के इलाज में इस्तेमाल किया गया. इबोला के खिलाफ भी इस दवा ने हल्की मदद की.
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वहीं, अमेरिका के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एलर्जी एंड इंफेक्शस डिजीज की ओर से स्पॉन्सर की गई स्टडी को द न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन की वेबसाइट पर शुक्रवार शाम प्रकाशित किया गया. स्टडी में दावा किया गया है कि Remdesivir दवा कोरोना मरीजों के ठीक होने के समय को 15 दिन से घटाकर 11 दिन करने में सफल रही.
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स्टडी में कहा गया है कि 1063 गंभीर मरीजों को Remdesivir दवा या Placebo दिए गएं. जिन लोगों को Remdesivir दवा दी गई उनमें Placebo के मुकाबले अधिक सुधार देखा गया. असल में Placebo असल दवा की तरह ही होता है लेकिन उसमें Inactive Substance का इस्तेमाल किया जाता है.
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स्टडी के प्रमुख जांचकर्ता और नेब्रास्का यूनिवर्सिटी के डॉ. एन्ड्रे कलिल ने उल्लेख किया है कि न सिर्फ बीमार मरीजों को Remdesivir दवा से फायदा हुआ, बल्कि उनके ठीक होने का वक्त भी घट गया.
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डॉ. एन्ड्रे कलिल ने कहा कि गोरे, काले और लैटिन अमेरिकी, सभी तरह के मरीजों को दवा से समान रूप से फायदा हुआ. इतना ही नहीं, पुरुष और महिलाओं में भी बराबर लाभ देखा गया.
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वॉशिंटगन यूनिवर्सिटी से जुड़े और स्टडी के जांचकर्ता डॉ. हेलेन चू ने कहा कि लक्षण दिखने के 10 दिन बाद या पहले, दोनों ही स्थिति में दवा देने पर असर एक जैसा ही रहा.