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घिस गईं चप्पलें, पैरों में पानी की बोतल बांधकर पैदल चल रहे मजदूर

घिस गईं चप्पलें, पैरों में पानी की बोतल बांधकर पैदल चल रहे मजदूर
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कोरोना वायरस के कारण पूरे देश में लॉकडाउन है. लॉकडाउन के कारण लोग जहां-तहां फंसे हुए हैं. कई शहरों से मजदूर अपने घरों की ओर पलायन कर रहे हैं. चलते-चलते उनकी चप्पलें भी घिस गई हैं लेकिन तमाम कठिनाइयों को सहते हुए भी वे घरों की ओर जा रहे हैं.
घिस गईं चप्पलें, पैरों में पानी की बोतल बांधकर पैदल चल रहे मजदूर
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पंजाब से पलायन कर हरियाणा में दाखिल हुए प्रवासी मजदूर अंबाला की सड़कों पर बिना चप्पलों के दिखे. किसी की चप्पलें घिस गईं तो पुलिस के खदेड़ने के बाद कुछ मजदूरों की चप्पलें छूट गईं. इसके बावजूद भी उन्होंने हार नहीं मानी और पानी की बोतलों को पैरों में बांधकर उसी को ही चप्पल बना लिया और मंजिल की ओर चल पड़े.
घिस गईं चप्पलें, पैरों में पानी की बोतल बांधकर पैदल चल रहे मजदूर
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दरअसल, अपने गांव जा रहे प्रवासी मजदूर जब पैदल ही नेशनल हाइवे पर कूच करने लगे तो अंबाला पुलिस ने मजदूरों को वापस पंजाब की तरफ खदेड़ा. इसी भगदड़ में कई प्रवासी मजदूरों के जूते-चप्पल सड़क पर ही छूट गए और उन्हें तपती धूप में पैदल ही चलना पड़ा.
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हालांकि, अंबाला के विधायक असीम गोयल ने इन प्रवासी मजदूरों को जब हरियाणा-पंजाब की सीमा पर इस हालत में देखा तो उन्होंने नई चप्पलें मंगवाकर मजदूरों को पहनाई. इसके बाद विधयाक ने पंजाब पुलिस से आग्रह किया कि इन मजदूरों को उनके घर वापस जाने दिया जाए, इसके लिए उन्होंने अधिकारियों से भी बात की.
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इसके बाद विधायक ने पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों से भी बात की. इतना ही नहीं उन्होंने पैदल जा रहे मजदूरों को चप्पल के अलावा नाश्ते का भी इंतजाम करवाया. अंततः वे सभी मजदूर अपने अपने घरों की ओर चल दिए.
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ऐसे ही देश भर में मजदूर तमाम कठिनाइयों का सामना करके अपने घरों की ओर जा रहे हैं. कोई दो दिनों से तो कोई सात दिनों से पैदल चले जा रहा है. कोई उत्तर प्रदेश, बिहार तो कोई राजस्थान और हरियाणा जैसे राज्यों में अपने जिलों की ओर निकल पड़ा है. नेशनल हाईवे पर चलते हुए मजदूर तपती धूप में ही चलने को मजबूर हैं.
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कई राज्यों ने अपने मजदूरों को वापस लाने के लिए कुछ जगहों से ट्रेन की व्यवस्था भी कर दी है लेकिन कई जगहों पर मजदूर अभी भी फंसे हुए हैं. यही कारण है कि वे पैदल ही अपने घरों की ओर चल पड़े हैं.
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मालूम हो कि लॉकडाउन के चलते रोजगार के ठप होने की सबसे अधिक मार गरीब मजदूरों पर पड़ी है. लॉकडाउन की वजह से काम बंद हुआ तो लाखों की संख्या में मजदूर जहां थे, वहां ही रुक गए. कुछ मजदूर ज्यादा दिन नहीं रुक पाए तो पैदल ही घर के लिए रवाना हो गए.
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