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कोरोना फैमिली से 17 साल पहले फैली थी महामारी, इसलिए नहीं बन पाई वैक्सीन

कोरोना फैमिली से 17 साल पहले फैली थी महामारी, इसलिए नहीं बन पाई वैक्सीन
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कोरोना वायरस को रोकने के लिए कई देशों में वैक्सीन तैयार करने के लिए काम चल रहा है. लेकिन कुछ एक्सपर्ट इस बात का उल्लेख करते हैं कि सालों पहले ही कोरोना फैमिली के वायरस के बारे में दुनिया को पता चल चुका था, लेकिन आज तक एक भी वैक्सीन नहीं बन पाई. आखिर किन वजहों से वैज्ञानिक कोरोना फैमिली के पुराने वायरस के लिए वैक्सीन नहीं बना पाए?
कोरोना फैमिली से 17 साल पहले फैली थी महामारी, इसलिए नहीं बन पाई वैक्सीन
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कोरोना फैमिली के ही एक वायरस SARS-CoV-1 से 2003 में सार्स महामारी फैली थी. तब भी पहला मामला चीन से ही सामने आया था. इस दौरान कम से कम 774 लोग मारे गए थे और 8 हजार से अधिक संक्रमित हुए थे. लेकिन 17 साल बाद भी SARS-CoV-1 के लिए कोई वैक्सीन तैयार नहीं हो पाई. ऐसा नहीं है कि वैज्ञानिकों ने कोरोना फैमिली के वायरस के लिए पहले काम शुरू नहीं किया था, लेकिन कोई भी प्रोजेक्ट शुरू होने के बाद अंजाम तक नहीं पहुंच सका.
कोरोना फैमिली से 17 साल पहले फैली थी महामारी, इसलिए नहीं बन पाई वैक्सीन
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हफिंगटन पोस्ट में छपी रिपोर्ट के मुताबिक, कोलंबिया यूनिवर्सिटी के वेगलोस कॉलेज ऑफ फिजिशियंस एंड सर्जन्स में माइक्रोबायोलॉजी और इम्यूनोलॉजी के प्रोफेसर विंसेंट रकानिएलो कहते हैं कि 2003 में ही सार्स महामारी थम गई, इसलिए ज्यादातर कंपनियों ने कहा कि वे इस वायरस की वैक्सीन बनाना नहीं चाहते, क्योंकि इसका मार्केट नहीं है. लेकिन कुछ अकेडमिक्स ने प्रयोग के लिए सार्स की वैक्सीन तैयार की. लेकिन आर्थिक सहयोग नहीं मिलने की वजह से प्रोजेक्ट पूरा नहीं हो पाया.
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प्रोफेसर विंसेंट ने कहा कि यह बहुत मुश्किल नहीं होता. हम चमगादड़ों में मिलने वाले कोरोना वायरस की वैक्सीन तैयार कर लेते जो अन्य कोरोना वायरस से भी बचा सकता था. लेकिन आर्थिक मदद के अभाव में रिसर्च पूरी नहीं हुई. विंसेंट ने कहा कि अमेरिका की प्रमुख स्वास्थ्य संस्था नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ भी इस तरह के मौलिक रिसर्च की मदद करना नहीं चाहता था, क्योंकि उनके पास सीमित बजट थे.
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वहीं, प्रोफेसर विंसेंट ने यह भी कहा कि 2020 के आखिर तक कोरोना की वैक्सीन के बारे में उम्मीद करना अवास्तविक होगा. उन्होंने कहा कि इतने कम वक्त में कोई भी वैक्सीन हमने नहीं बनाई है. उन्होंने कहा कि अगले साल की गर्मियों तक वैक्सीन की उम्मीद अधिक यथार्थवादी होगी.
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