कोरोना वायरस के प्रकोप से पूरा देश कराह रहा है. हर दिन हजारों लोग इस महामारी की भेंट चढ़ रहे हैं और पहाड़ी राज्य भी इससे अछूते नहीं हैं. चीन और नेपाल सीमा से सटा पहाड़ी राज्य उत्तराखंड भी कोरोना की भयानक चपेट में है. इस पहाड़ी राज्य में 25 मई तक कोरोना के 45,568 मामले सामने आ चुके हैं जबकि 6,020 लोगों ने इस महमारी में जान गंवाई है.
हालात इतने बदतर हो चुके हैं कि वहां कोरोना से होने वाली मौत के बाद अंतिम संस्कार के लिए भी लोगों को कई चुनौतियों और समस्याओं से जूझना पड़ रहा है. गांव-गांव तक ये महमारी फैल चुकी है. हरिद्वार में हाल ही में खत्म हुए कुंभ मेले में सैकड़ों-हजारों तपस्वियों और धर्मनिष्ठ लोगों ने गंगा में डुबकी लगाई. बता दें कि इसके बाद हरिद्वार और आसपास के क्षेत्रों में तेजी से कोरोना के फैलने की बात सामने आई थी.
कुछ विशेषज्ञों को डर है कि इस वजह से हरिद्वार शहर और भारत के अन्य हिस्सों में कोरोना संक्रमण में वृद्धि हुई क्योंकि ऐसे लोग कुंभ से अलग-अलग जगहों पर लौट आए थे. ताजा मामला हरिद्वार के पूर्वी किनारे पर बसे पौड़ी गढ़वाल का है. यहां 36 साल की महिला और तीन बच्चों की मां प्रमिला देवी का परिवार रहता था.
कोरोना पॉजिटिव होने के एक दिन बाद ही प्रमिला देवी की मौत हो गई. प्रमिला देवी की मृत्यु इस बात का संकेत है कि कैसे गरीबी, भय और सुविधाओं की कमी दूर-दराज के गांवों में कोरोना से मौत का कारण बन रही है. इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि दूरदराज के गांवों में लोगों के बीच पॉजिटिव आने का डर, घर से बेहद दूर अस्पताल जाने की मजबूर, और टेस्टिंग की समस्या मौत के आंकड़े को बढ़ा रही है.
मृतक प्रमिला देवी के पति सुरेश कुमार ने न्यूज एजेंसी रॉयटर्स को बताया कि सबसे बड़ी बेटी की शादी अप्रैल के अंत में हुई और परिवार ने इसमें दो दर्जन से अधिक लोगों के एक समारोह की मेजबानी की थी. इसी के बाद उनकी पत्नी की कोरोना से मौत हो गई. सुरेश कुमार ने कहा, उनकी पत्नी प्रमिला देवी का ऑक्सीजन स्तर बेहद नीचे आ गया था जिसके बाद कोरोना रिपोर्ट भी पॉजिटिव आई थी. इसके बाद उन्हें बड़े अस्पताल में ले जाने की सलाह दी गई लेकिन दुर्गम रास्तों और दूरी की वजह से दंपति घर लौट आए, जहां उनके दो अन्य बच्चे उनका इंतजार कर रहे थे.
अगले दिन प्रमिला देवी का भतीजा उसे एक टैक्सी में डिस्पेंसरी ले गया जहां एक अन्य मरीज ऑक्सीजन सिलेंडर का उपयोग कर रहा था और बिजली नहीं होने के कारण ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर काम नहीं कर रहा था. पीपीई किट पहने डिस्पेंसरी चलाने वाले डॉक्टर एश्वर्य आनंद ने बिजली विभाग के एक कर्मचारी से फोन पर विनती की कि "हमें बिजली की जरूरत है," आखिरकार बिजली बहाल हो गई और प्रमिला देवी को ऑक्सीजन कंसन्ट्रेटर भी मिल गया जिसके बाद वो घर लौटने पर अच्छा महसूस कर रही थी. फिर से बीमार होने पर परिवार ने उसे वापस क्लिनिक ले जाने के लिए एक एम्बुलेंस की व्यवस्था की लेकिन रास्ते में ही उसकी मौत हो गई.
बता दें कि पौड़ी गढ़वाल जिले में कोरोना के 5155 मामले सामने आ चुके हैं और 241 लोगों की मौत हो चुकी है. स्थानीय लोगों और डॉक्टरों का कहना है कि जिले में कई लोग कोरोना जैसे लक्षणों से पीड़ित हैं, जो या तो परीक्षण बहुत देर से कर रहा हैं या फिर टेस्ट कराने से ही इनकार कर देते हैं.
जिले के शीर्ष स्वास्थ्य अधिकारी मनोज कुमार शर्मा ने कहा, "हमने COVID के बारे में जागरूकता फैलाने और टेस्टिंग को प्रोत्साहित करने के लिए रेडियो और समाचार पत्र अभियान शुरू किए हैं." "लेकिन हमारे प्रयासों के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में कोरोना टेस्ट को लेकर लोगों में विरोध है. एक स्थानीय व्यक्ति जय प्रकाश ने बताया कि उन्होंने अपने पड़ोसियों से जांच कराने की गुहार लगाई. उनकी अपील के बावजूद, गांव के करीब 60 निवासियों में से सिर्फ एक दर्जन लोगों ने उनकी बात मानी.