क्या कहते हैं पूर्व जेलररस्सी की लंबाई उतनी ही रखी जाती है, जिससे शख्स के प्राण निकल जाएं लेकिन उसकी गर्दन लंबी न हो. यह सभी चीजें न हों, इसके लिए 'जुडिशल हैंगिंग' में बहुत सारे प्रावधान हैं. इसलिए शरीर के वजन के हिसाब से रस्सी की लंबाई दी जाती है. तिहाड़ जेल के पूर्व जेलर सुनील गुप्ता ने बताया कि गर्दन का खिंचाव वजन पर निर्भर करता है. इंग्लैंड में जब फांसी को लेकर पॉलिसी बनाई गई थी तब वजन का क्राइटेरिया रखा गया था. 128 पाउंड वजन हो और गर्दन पर खिंचाव पड़ना चाहिए.
अगर किसी शख्स का वजन 60 किलो है तो उसकी जल्दी डेथ हो जाती है. जल्दी गर्दन में चोट लगती है. इंसान तुरंत बेहोश हो जाता है. तड़पना नहीं पड़ता है और जल्दी से जल्दी उसकी जान निकल जाती है. वजन के हिसाब से जेल मैनुअल में चार्ट होता है कि कितनी हाइट से उसको फॉल देना है. उसी हिसाब से लंबी रस्सी ली जाती है. ऐसा बिल्कुल नहीं है. जेल मैनुअल के हिसाब से किसी को ज्यादा तड़पना पड़ता है तो किसी को कम.