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द‍िल्ली ह‍िंसा में देसी तमंचों का इस्तेमाल, कहां से हुई इनकी सप्लाई!

द‍िल्ली ह‍िंसा में देसी तमंचों का इस्तेमाल, कहां से हुई इनकी सप्लाई!
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दिल्ली में हुए दंगों और 35 लोगों की मौत में सबसे ज्यादा तादाद उन लोगों की हैं, जिनकी मौत गोली लगने से हुई है. बात शुरू करते हैं दिल्ली पुलिस के हैड कांस्टेबल रतन लाल से. शुरू में यह लग रहा था कि रतन लाल की मौत पथराव में चोट लगने से हुई है लेकिन रतन लाल की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट ने इस बात का खुलासा किया कि उनकी मौत पत्थर लगने से नहीं बल्कि गोली लगने से हुई है.
द‍िल्ली ह‍िंसा में देसी तमंचों का इस्तेमाल, कहां से हुई इनकी सप्लाई!
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हॉस्प‍िटल में दंगों में मरने वालों की लिस्ट में अभी महज 22 मरने वालों का ब्योरा दर्ज है और इनकी मौत की वजह भी बताई गई है. इस लिस्ट के मुताबिक 10 लोगों की मौत गोली लगने से हुई है,  जबकि 4 को चाकू मारा गया है. मरने वालों में कुछ ऐसे लोग भी हैं जिन्हे जलाकर मार दिया गया या वो आग की चपेट में आकर जान गंवा बैठे.
द‍िल्ली ह‍िंसा में देसी तमंचों का इस्तेमाल, कहां से हुई इनकी सप्लाई!
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यहां इतना तो साफ हो जाता है कि दिल्ली के नॉर्थ ईस्ट इलाके में हुए दंगों में कट्टों और तमंचों की जमकर इस्तेमाल किया गया क्योंकि ज्यादातर मरने वालों के मौत की वजह गन शॉट है.
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अब सवाल ये है कि इस इलाके में असलहों की सप्लाई कहां से होती है? इतनी बड़ी मात्रा में हथियारों की खरीद फरोख्त कैसे होती है? क्या नॉर्थ ईस्ट दिल्ली अवैध हथियारों का गढ़ बनता जा रहा है?

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सीसीटीवी फुटेज में नॉर्थ ईस्ट दिल्ली के इलाकों का सच सामने आया है. सच तो ये है कि इस इलाके में छोटे-बड़े अपराधियों को आसानी से अवैध हथियार मुहैया हो जाते हैं. दिल्ली का ये इलाका यूपी और हरियाणा की सीमा से जुड़ा हुआ है और यही वजह है कि पश्चिमी उत्तर प्रदेश से बड़े पैमाने पर अवैध हथियारों की सप्लाई धड़ल्ले से होती है.
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इन इलाकों में ज्यादातर हथियार बिहार के मुंगेर से आते थे लेकिन अब पिस्तौल बनाने के कच्चा माल मुंगेर से लाया जाता है और बंदूक और पिस्तौल उत्तर प्रदेश के मेरठ में बना लिए जाते हैं. दिल्ली पुलिस ने गणतन्त्र दिवस और दिल्ली में होने वाले चुनाव से ठीक पहले  मेरठ की एक अवैध फैक्ट्री से अवैध हथ‍ियार बरामद क‍िए थे.
द‍िल्ली ह‍िंसा में देसी तमंचों का इस्तेमाल, कहां से हुई इनकी सप्लाई!
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दरअसल, दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल को जानकारी मिली थी कि दिल्ली से करीब 70 किलोमीटर दूर मेरठ में अवैध तरीके से एक हथियारों की फैक्ट्री चल रही है जहां धड़ल्ले से हथियार बनाए जा रहे हैं. इनकी सप्लाई दिल्ली एनसीआर में होना है. इस गुप्त सूचना के आधार पर स्पेशल सेल की टीम मेरठ पहुंची और छापेमारी कर एक घर में चल रही हथियार बनाने वाली फैक्ट्री से इन अवैध हथियारों को जब्त किया था.

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दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने मेरठ हथियार फैक्ट्री से जो हथियार बरामद किए थे वह बेहद अच्छी क्वालिटी के हैं. 60 पिस्तौलों में कुछ सेमी ऑटोमेटिक और कुछ देसी कट्टे शामिल हैं. गिरफ्तार हुए आरोपियों ने पुलिस को बताया की एक पिस्तौल को बनाने में करीब 3 हजार रुपये का खर्च आता था जिसे वो अपने गुर्गों के जरिए एनसीआर के बदमाशों को  20 से 25 हजार रुपये में बेच दिया करता था.

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दिल्ली और आसपास के इलाकों में जो हथियार बदमाश या फिर यहां के के छोटे मोटे गैंग के बदमाश इस्तेमाल करते हैं वो ज्यादातर मध्य प्रदेश के खरगौन से, या फिर बिहार के मुंगेर या और उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले से आता है. इन हथियारों को देशी पिस्टल कहा जाता है और इनकी कीमत 15 हजार से 20 हजार तक होती है लेकिन देशी कट्टा जिससे सिर्फ एक बार ही फायर किया जा सकता है वो महज 3 हजार में मिल जाता है.
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आधुनिक हथियार, जिसे बड़े गैंग वाले इस्तेमाल करते हैं वो बाहर के देशों से तस्करी करके लाए जाते हैं. ये हथियार देश में या तो बांग्लादेश या फिर नेपाल के रास्ते लाए जाते हैं और फिर इन्हें दो से तीन लाख में बेचा जाता है.
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बरामद हथियारों के तस्कर बताते हैं कि वो एक 5 से 6 राउंड की पिस्टल करीब तीन हजार में बना लेते हैं, और फिर इसे वो 15 से लेकर 25 हजार में बेच देते हैं. अगर कभी हथियारों के तस्कर पकड़े भी जाते हैं तो उनकी महीने दो महीने में उन्हें बेल मिल जाती है. वो फिर से मोटे मुनाफे के चक्कर में इसी धंधे में लौट आते हैं.
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