हम लोग हमेशा वैक्सीनेशन और इम्यूनाइजेशन में कन्फ्यूज हो जाते हैं. लेकिन दोनों में बहुत ज्यादा अंतर है. दोनों अलग-अलग तरीके से काम करते हैं. दोनों का मकसद भी अलग होता है. आइए समझते हैं दोनों के अंतर को...दोनों क्या और कैसे काम करते हैं? (फोटोः गेटी)
वैक्सीन किसी कमजोर बैक्टीरिया, वायरस या पैथोजेन के जेनेटिक स्ट्रेन को लेकर बनाया जाता है. फिर उसे शरीर में डाला जाता है ताकि संबंधित बैक्टीरिया, वायरस से जुड़ी बीमारियों से इंसान बचा रहे. इसे वैक्सीनेशन (Vaccination) कहते हैं. (फोटोः रॉयटर्स)
इम्यूनाइजेशन (Immunization) ऐसी प्रक्रिया है जिसमें किसी वैक्सीन के जरिए या प्राकृतिक तौर पर शरीर के अंदर प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित की जाए ताकि शरीर बीमारियों से लड़ने में सक्षम हो सके. (फोटोःगेटी)
उदाहरण के तौर पर, पोलियो वैक्सीन लगने से पहले बच्चे में पोलियो बीमारी होने का खतरा रहता है. लेकिन जब उसे पोलियो की वैक्सीन दी जाती है, तो उसे वैक्सीनेशन या टीकाकरण कहते हैं. लेकिन वैक्सीन देने के बाद जब शरीर में पोलियो के खिलाफ प्रतिरक्षा प्रणाली यानी इम्यूनिटी काम करने लगती है तो इम्यूनाइजेशन कहते हैं. (फोटोः गेटी)
वैक्सीनेशन कमजोर या असक्रिय बैक्टीरिया या वायरस को शरीर में डालने से शुरू होती है. इम्यूनाइजेशन की प्रक्रिया वैक्सीनेशन के बाद इंसान के शरीर में शुरू होती है. इसमें बीमारी के खिलाफ शरीर के अंदर इम्यूनिटी विकसित होने लगती है. (फोटोः रॉयटर्स)
वैक्सीन इंजेक्शन से, मुंह से या नाक से दी जाती है. इम्यूनाइजेशन की प्रक्रिया शरीर में वैक्सीन जाने के बाद शुरू होती है. (फोटोः रॉयटर्स)
वैक्सीनेशन से बीमारी से बचने की 100 फीसदी गारंटी नहीं मिलती है. जबकि, इम्यूनाइजेशन की प्रक्रिया में इंसान को किसी भी बीमारी से पूरी तरह सुरक्षित माना जाता है, जब वह उस बीमारी से ग्रसित होकर ठीक हो जाता है. (फोटोः रॉयटर्स)
अगर शरीर में मौजूद किसी बीमारी के माइक्रोब्स म्यूटेशन यानी अपने स्वरूप या कैरेक्टर में बदलाव करते हैं तो वैक्सीनेशन काम नहीं आता. इसीलिए सामान्य सर्दी-जुकाम की कोई वैक्सीन नहीं है. (फोटोः रॉयटर्स)
इम्यूनाइजेशन में भी लगभग ऐसा ही होता है. शरीर के अंदर अगर बीमारी अपने आप को बदल रही है तो शरीर उसके हिसाब से प्रतिरोधक क्षमता विकसित करता रहता है, लेकिन जरूरी नहीं कि वह बीमारी से आपको बचा ले या फिर उसे खत्म कर दे. (फोटोः गेटी)