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दोनों पैर से विकलांग पर हौसला बुलंद, किसान के बच्‍चों को निशानेबाजी की ट्रेनिंग दे रहा शूटर

दोनों पैर से विकलांग पर हौसला बुलंद, किसान के बच्‍चों को निशानेबाजी की ट्रेनिंग दे रहा शूटर
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दोनों पैर से विकलांग है, मगर हौसला बुलंदी पर...दुनियाभर के निशानेबाजों को अपने कदमों में झुकाने के इरादे रखने वाला यह युवक मजबूत इरादे की मिसाल है. इस इरादे को पूरा करने के लिए उसने बाकायदा अपने कस्बे से 80 किलोमीटर दूर अजमेर शहर में जाकर शूटिंग का प्रशिक्षण लिया फिर भारतीय पैराशूटिंग टीम में चयन पाकर कई राष्ट्रीय व राज्य प्रतियोगिताओं में स्वर्ण, रजत व कांस्‍य पदक जीते. (नागौर से मोहम्‍मद हनीफ खान की र‍िपोर्ट)

दोनों पैर से विकलांग पर हौसला बुलंद, किसान के बच्‍चों को निशानेबाजी की ट्रेनिंग दे रहा शूटर
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आर्थिक तंगी के चलते अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर शारजाह नहीं जा सके. तो नागौर के शिवराज सांखला ने अपने गांव में शूटिंग एकेडमी खोली और ग्रासरूट से किसानों के बच्चों के हाथ हल के साथ राइफल थमाकर सैकड़ों बच्चों को निशानेबाजी में दक्ष कर रहे हैं. 

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नागौर की मेड़ता सिटी के रहने वाले शिवराज को अपनों की अंगुली तो मिली मगर दोनों पैर से विकलांग होने के कारण चलना उसके नसीब में नहीं था. छोटी उम्र में पिता का साया भी उठ गया जिसके कारण उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. 

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शिवराज ने अपनी विकलांगता को नजरअदांज करते हुए जिदंगी जीने का मकसद तय किया और अपने गांव से 80 किलोमीटर दूर अजमेर शहर में निशानेबाजी का दो साल प्रशिक्षण लिया. इसके बाद चार बार राष्ट्रीय व राज्य स्तर पैराशूटिंग प्रतियोगिता में भाग लेकर पदक जीते. शिवराज, भारतीय पैराशूटिंग टीम के टॉप-10 के शूटर हैं.

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शिवराज अपने गांव में मारवाड़ शूटिंग एकेडमी खोलकर ऐसे सैकड़ों निशानेबाज तैयार कर रहेे हैं जो आगामी दिनों में राष्ट्रीय स्तर पर निशानेबाजी की छाप छोड़ेंगे. कस्बे के आस-पास के करीब सैकड़ों गांव से आए बच्चों के लिए प्रेरणास्‍त्रोत बने शिवराज का बस अब एक ही सपना है क‍ि ग्रासरूट की प्रतिभाओं को अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर वो जगह मिले, जो वो खुद हासिल नहीं कर सके.

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हालांकि निशानेबाज शिवराज खुद इस बार अन्तरराष्ट्रीय स्‍तर पर फिर से ओलंपिक में भाग लेने का प्रयास कर रहे हैं. इससे पहले शिवराज का 2019 में भारतीय पैराशूटिंग में चयन हो गया मगर स्‍पॉन्‍सरशिप नहीं मिलने के कारण शारजाह में आयोजित हुए अन्तरराष्ट्रीय पैराशूटिंग वर्ल्‍डकप में भाग नहीं ले सके क्योंकि सरकार टॉप तीन को ही प्रतियोगिता में भेजती है, बाकी निशानेबाजों को अपने स्तर पर जाना पड़ता है.

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